Delhi News: दिल्ली की जामा मस्जिद के उत्तरी गुंबद पर मरम्मत से सीमेंट के छोटे-छोटे टुकड़े छूट गए हैं. भारी बारिश में दरार आने के बाद मस्जिद प्रशासन ने कर्मचारियों से सीमेंट का इस्तेमाल कराया. लेकिन ये केंद्र सरकार को पत्र लिखने के बाद संभव हो सका. पत्र में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से बहाली का काम करने की अपील की गई थी. जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी ने कहा, "हम एएसआई को लिखते रहे हैं लेकिन उचित जवाब नहीं मिला. हमें स्मारक को बचाने के लिए अस्थायी उपाय उठाने पड़े." उन्होंने बताया कि रिसाव की समस्या के कारण दरार आ गई थी और फौरन मरम्मत की जरूरत थी.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, एएसआई के एक अधिकारी का कहना है कि जामा मस्जिद संरक्षित स्मारक नहीं है, इसलिए मरम्मत का काम उसकी परिधि में नहीं आता है. ऐसा सिर्फ खास मामलों और अपील पर ही किया जा सकता है. जहां तक आधिकारिक अपील की बात है तो उनको नहीं मिली है. लेकिन मस्जिद प्रशासन का दावा है कि इससे पहले एएसआई जरूरत पड़ने पर जामा मस्जिद के हिस्सों को बहाल करता रहा था. प्रशासन का ये भी कहना है कि प्रधानमंत्री के नाम संबोधित पत्र लिखने के बाद एएसआई ने सर्वे भी किया था और बजट निर्धारित कर दिया गया था.
बता दें कि 6 जून, 2021 को इमाम बुखारी ने प्रधानमंत्री को पत्र में स्थिति से अवगत कराया था. उन्होंने लिखा था, "दुनिया भर में मशहूर दिल्ली की जामा मस्जिद को मरम्मत की सख्त जरूरत है. खास मामले में उसकी समय समय पर एएसआई 1956 से मरम्मती करता रहा है." पत्र में बताया गया था कि इमार के पत्थर गिर रहे हैं. उन्होंने एएसआई से स्मारक की जांच करने और मरम्मत शुरू करने की फरियाद की थी. इतिहासकार सुहैल हाशमी ने इस तरह की इमारतों के लिए चूना पत्थर मोर्टार इस्तेमाल करने की जरूरत बताई. उन्होंने कहा कि इसे ठीक करने का एकमात्र तरीका सीमेंट को खुरचना और उसकी जगह चूना पत्थर मोर्टार का इस्तेमाल है.