Supreme Court On Bulldozer Action: बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से रोक के बाद प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है. इसी कड़ी में जमीयत उलेमा-ए-हिंद का भी बयान सामने आया है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने फैसले को ऐतिहासिक बताया है. उन्होंने कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद का शुरू से स्टैंड रहा है कि किसी के भी मकान को गिरा देना गैरकानूनी है. एक अदद मकान बनाने में जिंदगी भर की जमा पूंजी लगती है. तब जाकर सपनों का आशियाना तैयार होता है. लेकिन, बुलडोजर आशियाने को एक घंटे में खत्म कर चला जाता है.


मौलाना मदनी ने आगे कहा कि ऐसा भी देखा गया है कि किरायेदार के अपराध पर किराये का मकान ध्वस्त कर दिया जाता है. उन्होंने कहा कि बुलडोजर चलाकर मकान जमींदोज करना कहीं से भी न्याययोचित नहीं हो सकता.


बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि बिना सुनवाई आरोपी को दोषी करार नहीं दिया जा सकता. अधिकारियों को अवैध अतिक्रमण हटाने के नाम पर मनमानी करने की छूट नहीं दी जा सकती. मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि मकान में मां-बाप, भाई-बहन और बीवी-बच्चे भी रहते हैं. ऐसे में किसी एक की गलती की सजा बुलडोजर एक्शन के जरिये देना परिवार की दुनिया उजाड़ देना है. 


कोर्ट ऐसे ही गरीबों के हक में फैसला देता रहे- अरशद मदनी


उन्होंने कहा कि परिवार को बेसहारा बना देना कहां से जायज है? उन्होंने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया है. मुझे अल्लाह की कुदरत और इनायत पर बहुत ज्यादा गर्व है. हमारी दुआ है कि कोर्ट ऐसे ही गरीबों के हक में फैसला देता रहे." उन्होंने बताया कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गयी थी.


मौलाना मदनी ने बुलडोजर एक्शन को अमल में लाने वाले अधिकारियों की आलोचना की. उन्होंने अधिकारियों से भरपाई की वसूली का भी सुझाव दिया. मौलाना मदनी ने कहा कि जमीयत उलेमा ए हिंद को बुलडोजर एक्शन पर फैसले का काफी अरसे इंतेजार था. उन्होंने देश में अमन और शांति बनी रहने की अल्लाह से दुआ की. 


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