Delhi News: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) ने छात्रावास आवास की कमी का हवाला देते हुए एक नोटिफिकेशन जारी किया है. जेएनयू ने नोटिफेशन में कहा है कि जिन रिसर्च स्कॉलर्स को अपनी थीसिस जमा करने के लिए एक्सटेंशन मिला है, उन्हें अपने छात्रावास के आवास के लिए भी एक्सटेंशन की जरूरत होगी.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा जारी एक अधिसूचना का हवाला देते हुए, जिसने एमफिल शोध प्रबंध और पीएचडी थीसिस जमा करने की अंतिम तिथि अगले साल 30 जून तक बढ़ा दी, जेएनयू प्रशासन ने कहा, “यूजीसी के सर्कुलर में इन एमफिल, एमटेक या पीएचडी छात्रों के लिए हॉस्टल सुविधाओं के एक्सटेंशन का कोई जिक्र नहीं है.”
सीमित समय के लिए छात्रों को दिया जाएगा हॉस्टल एक्सटेंशन
इसमें कहा गया है कि हॉस्टल में वर्तमान वैकेंसी बीए प्रोग्राम के स्टूडेंट्स, जिन्होंने वर्ष 2020 में एडमिशन लिया था को एकोमोडेट करने के लिए पर्याप्त नहीं है. अधिसूचना में कहा गया है, "... केवल संबंधित स्पेशल सेंटर के सुपरवाइजर और चेयरपर्सन या संबंधित स्कूल के डीन द्वारा अप्रूव छात्रावास आवास को केवल आवश्यकता-आधारित एक्सटेंशन वाले छात्रों के लिए एक विशेष मामले के रूप में लीमिटिड टाइम के लिए देने पर विचार किया जा सकता है."
नोटिफिकेशन में कहा गया है कि, "छात्रों के डीन द्वारा केस टू केस के बेस पर लिमिटिड पीरियड के लिए हॉस्टल एकोमोडेशन के लिए एक्सटेंशन दिया जाएगा."
जेएनयू छात्र संघ ने सर्कुलर को छात्र विरोधी बताया
हालांकि, जेएनयू छात्र संघ (JNUSU) ने सर्कुलर को "छात्र विरोधी" करार दिया है, जेएनयूएसयू की अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा, “विश्वविद्यालय में हॉस्टल क्राइसिस को लिंक नहीं जा सकता है और इसके लिए एक्सटेंशन का लाभ उठाने वाले रिसर्च स्कॉलर्स को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है. दूसरे, जेएनयू प्रशासन द्वारा नए छात्रावासों के निर्माण में देरी क्यों की गई है?”
घोष ने कहा, "प्रशासन को छात्रों को वापस बुलाने और छात्रावास संकट को दूर करने की अपनी जिम्मेदारी को प्राथमिकता देनी चाहिए." वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि छात्रावासों में करीब 1500 सीटों की कमी थी, जिसके कारण विश्वविद्यालय नए छात्रों को एकोमोडेशन नहीं दे पा रहा था.
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