Delhi Kanjhawala Case: 'दिल्ली में महिला-बच्ची कोई सुरक्षित नहीं, कौन लेगा जिम्मेदारी', कांग्रेस का बीजेपी-AAP पर हमला
Kanjhawala Accident: कांग्रेस नेता अनुज आत्रेय ने कहा कि आखिर ऐसा क्या कारण है जो देश की राजधानी में भी ऐसी घटना होना आम बात हो गई है. यह क्यों नहीं थम रही हैं और कौन इसकी जिम्मेदारी लेगा.
Kanjhawala Case: राजधानी दिल्ली के सुल्तानपुरी थाने के कंझावला इलाके में 31 दिसंबर और 1 जनवरी की बीच रात 20 साल की लड़की के साथ हुई बर्बरता पर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता अनुज आत्रेय ने दुख जताते हुए BJP और AAP पार्टी पर हमला किया. उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी वारदात हो गई पर दोनों पार्टी आराम से बैठी रहीं, मस्त रहीं! चाहे BJP हो या AAP दोनों की सरकार आने पर दिल्ली शहर बद से बदतर हो गया है. दिल्ली में महिला हो या बच्ची कोई सुरक्षित नहीं है. उन्होंने कहा कि आगे ऐसी घटनाओं की प्रवृति ना हो, कौन इस बात की जिम्मेदारी लेगा ?
कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ी पड़ी हैं
कांग्रेस प्रवक्ता अनुज आत्रेय ने abp लाइव से बात करने के दौरान कहा कि देश की राजधानी दिल्ली में कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ी पड़ी हैं, कोई जिम्मेदारी लेने वाला नहीं है. कोई देखने वाला नहीं है. जो यह दर्दनाक घटना हुई है, 10 किलोमीटर तक एक लड़की की बॉडी घसीटते हुए लेकर जा रहे हैं, अपराधियों को किसी कानून का भय नहीं है. चाहे भारतीय जनता पार्टी हो या आम आदमी पार्टी दोनों आराम से बैठे रहे, मस्त रहे और इस तरह लड़कियों पर निर्ममता से अपराध होता जा रहा है और बाद में बयानबाजी कर के अपना पलड़ा झाड़ लेते हैं.
कौन इसकी जिम्मेदारी लेगा
अनुज आत्रेय ने कहा कि आखिर ऐसा क्या कारण है जो देश की राजधानी में भी ऐसी घटना होना आम बात हो गई हैं. यह क्यों नहीं थम रही हैं और कौन इसकी जिम्मेदारी लेगा. दोनो पार्टियों ने सरकार बनाने से पहले चुनाव जीतने से पहले बहुत बड़ी-बड़ी बातें करी थीं कि महिलाओं को सुरक्षा देंगे, दिल्ली में भय मुक्त वातावरण देंगे. चाहे बीजेपी हो या केजरीवाल हों, इनके आने के बाद हालात ठीक होने की जगह शहर बद से बदतर हो गया है. आगे ऐसी घटनाओं की प्रवृति ना हो, कौन इस बात की जिम्मेदारी लेगा.
पुलिस को परिवार की सुननी चाहिए
कांग्रेस नेता ने कहा कि निश्चित तौर पर परिवार की सुननी चाहिए और हर एंगल से उसकी जांच होनी चाहिए. केवल यह कह देना कि वो शराब के नशे में थे और उनको पता नहीं चला यह संभव नहीं है. एक छोटा सा पत्थर गाड़ी के नीचे आ जाता है तो भी आदमी को पता चल जाता है. इतने किलोमीटर तक गाड़ी घसीटती गई और म्यूजिक की आवाज से इन्हें पता नहीं चला, तो यह बात गले से नीचे नहीं उतर रही. जब मृतक की मां और रिश्तेदार बोल रहे हैं तो क्यों उनकी बात को गंभीरता से लेकर जांच नहीं की जा रही है. किसका दवाब है पुलिस के ऊपर? हम उनके परिवार के साथ खड़े हैं और हम उनकी हर मांग के साथ खड़े है. ऐसा नहीं होना चाहिए कि अपराधियों को बचाने की कोशिश की जाए या केस को कमजोर किया जाए.