दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को करोल बाग के बैंक स्ट्रीट में साल 1927 से बन रहे एक प्राइमरी स्कूल को तोड़कर बनाई जा रही मल्टीलेवल पार्किंग को लेकर दिल्ली सरकार और एमसीडी से मांगा जवाब मांगा है. इस मामले की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए आदलत ने दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग, नॉर्थ एमसीडी समेत कई प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया है. इसके साथ ही मामले की अगली सुनवाई 15 जुलाई 2022 निर्धारित की गई है.


दिल्ली हाईकोर्ट में दी गई इस जनहित याचिका में बताया गया है कि दिल्ली के करोल बाग के बैंक स्ट्रीट में साल 1927 से एक प्राइमरी स्कूल चल रहा है. जिसे अब तोड़कर उसकी जगह कॉमर्शियल शॉप, रिटेल स्पेस, फूड कोर्ट और बहुमंजिला कार पार्किंग बनाई जा रही है. इस मामले में डाली गई याचिका को लेकर वकील अमित साहनी ने तर्क देते हुए कहा कि स्कूल की जमीन का इस्तेमाल स्कूल चलाने के अलावा किसी अन्य उद्देश्य के लिए नहीं किया जा सकता है.


अधिवक्ता अमित साहनी ने अपनी याचिका में कहा कि विचाराधीन भूमि को क्षेत्र के लेआउट योजना में एक स्कूल के रूप में उपयोग के लिए नामित किया गया है और इसमें संशोधन नहीं किया गया है. मल्टीलेवल पार्किंग की आड़ में साल 1927 से चल रहे एमसीडी प्राइमरी स्कूल को तोड़कर एक फूड कोर्ट, दुकानों और कार्यालयों वाले एक मॉल का निर्माण किया जा रहा है. इस याचिका में बताया गया है कि भूमि को बागवानी विभाग ने अपने कब्जे में ले लिया है और इसमें 50 से 100 साल की उम्र के 43 पेड़ हैं.


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इसके साथ ही दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वकील संतोष त्रिपाठी ने कहा कि वह स्कूल को अपने कब्जे में लेने के लिए तैयार है. वहीं निगम के वकील मिनी पुष्कर्ण ने दलील का विरोध करते हुए तर्क दिया कि स्कूल जीर्ण-शीर्ण स्थिति में था जो 2018 में बंद कर दिया गया और 2019 में ध्वस्त कर दिया गया. छात्रों को पास के एक स्कूल में समायोजित किया गया था और जमीन का उपयोग पार्किंग के लिए किया जा रहा है.