Election Update: 10 मार्च को पांच राज्य में हुए चुनाव के नतीजे सामने आ गए हैं. सभी राज्यों में से सबसे ज्यादा विधानसभा सीटें उत्तर प्रदेश की है. उत्तर प्रदेश में बीजेपी की एक बार फिर जीत हुई है. चुनाव में सबसे ज्यादा कांग्रेस के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई. जमानत जब्त होने वालों में दूसरे नंबर पर बहुजन समाज पार्टी है. 97 फीसद कांग्रेस प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई. लेकिन आखिर जमानत जब्त होने का मतलब क्या होता है, आइए जानते हैं.


दरअसल चुनाव के लिए उम्मीदवार पर्चा भर्ता है तो उसे जमानत जमा करने होते हैं. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 34 1(a) के तहत लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए 25 हजार रुपए और विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए 10 हजार रुपए की जमानत राशित होती है. अनुसूचित जाति/जनजाति के प्रत्याशियों को आधी राशि ही जमा करनी होती है. चुनाव आयोग के पास जमा इस राशि को जमानत कहा जाता है.


कब जब्त होती है जमानत?
किसी भी प्रत्याशी की जमानत तब जब्त होती है जब उसे उस क्षेत्र में डाले हुए वोट में से 1/6 भाग से भी कम वोट मिलते हैं, यानी मान लीजिए किसी क्षेत्र में 1 लाख लोगों ने वोट डाला तो प्रत्याशी को कम से कम 16 हजार 666 वोट से ज्यादा लाने होंगे नहीं तो उसकी जमानत जब्त हो जाएगा. अगर किसी प्रत्याशी की जमानत राशि जब्त नहीं हुई है तो उसे चुनाव के बाद वापस मिल जाती है.


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कब वापस मिलती है राशि?
1. अगर किसी प्रत्याशी का नामांकन खारिज हो जाता है, या नामांकन खुद वापस ले लेता है.
2 चुनाव लड़ने से पहले प्रत्याशी की मौत हो जाए.
3. चुनाव जीतने के बाद भी पैसे वापस मिल जाते हैं.
4. चाहे प्रत्याशी चुनाव हार जाए लेकिन फिर भी पूरे क्षेत्र में किए हुए मतदान में उसे 1/6 से ज्यादा वोट मिले.


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