Delhi LG News: उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने एक बार फिर मनीष सिसोदिया के नेतृत्व में दिल्ली सरकार के हायर और टेक्निकल एजुकेशन डिपार्टमेंट के तहत लोक शिक्षा क्षेत्र में लेखा प्रक्रिया के घोर उल्लंघन, वित्तीय कुप्रबंधन और ऑडिट में देरी को लेकर सवाल खड़े किए है. दिल्ली फार्मास्युटिकल साइंसेज एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी (डीपीएसआरयू) चांसलर के तौर पर फाइल में पाया की 2015 से 2020-21 में देरी पाई. उपराज्यपाल ने विश्वविद्यालय के ऑडिट के संचालन में अनुचित देरी पर गंभीर चिंता व्यक्त की है और  एलजी ने कुलपति को इस चूक के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के विवरण के साथ 15 दिनों के भीतर देरी के लिए स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है.


सीएजी द्वारा 2015-16 से संबंधित डीपीएसआरयू के खातों का ऑडिट कराने के प्रस्ताव को मई 2019 में तत्कालीन एलजी द्वारा मंजूरी दी गई थी. लेकिन दिल्ली फार्मास्युटिकल साइंसेज एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी ने सीएजी अधिनियम की प्रासंगिक और लागू धारा 19(3) के बजाय विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 27 और सीएजी (कर्तव्य, शक्तियां और सेवा की शर्तें) अधिनियम 1971 की धारा 20 के प्रावधानों के तहत प्रस्ताव पेश किया. इससे अनिवार्य रूप से लेखापरीक्षा में देरी हुई.


समीक्षा में राज्यपाल को मिलीं ये खामियां
उपराज्यपाल, जो दिल्ली राज्य विश्वविद्यालय के कुलपति है उन्होंने फाइलों की समीक्षा के दौरान पाया की दिल्ली में राज्य विश्वविद्यालयों की ओर से गंभीर और निरंतर प्रक्रियात्मक खामियों का भी सामना करते हैं और इस पर बहुत गंभीर है. समय पर खातों की ऑडिट हो, अनुत्तरित ऑडिट की आपत्तियां या कोर्ट ऑफ यूनिवर्सिटीज की अनिवार्य वार्षिक बैठकें न करना, सभी गैर-पारदर्शिता, तदर्थवाद और जवाबदेही की अवहेलना की ओर इशारा करते हैं.


वहीं सीएजी ने ये भी कहा था कि 4 अन्य विश्वविद्यालयों के खातों के ऑडिट का काम सौंपा जाए. इंद्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी दिल्ली (IIIT-दिल्ली), इंदिरा गांधी दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी फॉर वूमेन (IGDTUW), दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (DTU) और नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी (NSUT) को भी धारा 19 (3) के तहत अवगत कराया जाए.


एलजी, जो राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भी हैं ने प्रशिक्षण और तकनीकी शिक्षा / उच्च शिक्षा विभाग को निर्देश दिया है कि वो सभी राज्य विश्वविद्यालयों के खातों की ऑडिट CAG को सौंपे गए कानूनों के अनुसार सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कार्रवाई करें. उन्होंने यह भी निर्देश दिए हैं कि भविष्य में सभी विश्वविद्यालयों के ऑडिट को उनके देय होने पर बिना किसी देरी के तुरन्त सौंपे जाएं. एलजी सचिवालय ने भी सभी कुलपतियों को ये सुनिश्चित करने के लिए लिखा है कि कोर्ट ऑफ यूनिवर्सिटी की बैठकें साल में कम से कम दो बार आयोजित की जाएं..


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