Delhi: संसद में दिल्ली सेवा बिल पास होने के बाद पहली बार कार्यक्रम में साथ दिखे LG और सीएम केजरीवाल, क्या कुछ बोले?
Delhi News: दिल्ली में फिर से विकसित किए गए ‘शहीदी पार्क’ का दिल्ली के एलजी विनय सक्सेना और सीएम अरविंद केजरीवाल ने संयुक्त रूप से उद्घाटन किया. जानें इस पार्क में क्या खास है.
AKAM Shahidi Park: राष्ट्रीय राजधानी में स्थित पुन:विकसित ‘शहीदी पार्क’ का दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को संयुक्त रूप से मंगलवार को उद्घाटन किया. इस पार्क में कबाड़ से बनी विभिन्न स्वतंत्रता सेनानियों की मूर्तियां प्रदर्शित की गई हैं. उद्घाटन समारोह 'मेरा रंग दे बसंती चोला' जैसे देशभक्ति गीतों के बीच हुआ. दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने इस पार्क को पुनर्विकसित किया है. उसने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर कहा कि यह पार्क नौ अगस्त से जनता के लिए खुल जाएगा. एमसीडी ने दावा किया है कि यह “ भारत का पहला आउटडोर संग्रहालय पार्क’ है.
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने ट्वीट किया, "माननीय @LtGovDelhi श्री विनय कुमार सक्सेना जी के साथ आज शहीदी पार्क के उद्घाटन कार्यक्रम में शिरकत करने का अवसर मिला. ये पार्क “वेस्ट टू आर्ट” का एक शानदार उदाहरण है. ये पार्क हमारे वीर सेनानियों की शौर्य गाथाओं और उनके अमर बलिदान का वर्णन करता है. आप भी ये शानदार पार्क देखने ज़रूर आना."
एमसीडी ने कहा, “ भारत की आजादी और उसके बाद के युद्धों में शहीद हुए सेनानियों की गाथा का वर्णन करता निगम का शहीदी पार्क अपनी कलाकृतियों और रंग-बिरंगी लाइट्स से मोहक दृश्य उत्पन्न करता है. आइये यहां साक्षी बनें स्वर्णिम भारत के निर्माताओं के बलिदान का.”
निगम ने आईटीओ के पास स्थित पार्क के कुछ दृश्य भी साझा किए हैं. अधिकारियों ने बताया कि यह पार्क साढ़े चार एकड़ में फैला है और मूल रूप से करीब 20 साल पहले बनाया गया था. यह पार्क ‘कबाड़ से कला’ पहल के तहत पुन:विकसित किया गया है.
इस अवसर पर दिल्ली की महापौर शैली ओबेरॉय, उप महापौर आले मोहम्मद इकबाल, सदन के नेता मुकेश गोयल, क्षेत्रीय पार्षद सारिका चौधरी और निगम आयुक्त ज्ञानेश भारती भी उपस्थित थे. पुराने ट्रक, कार, बिजली के खंभे, पाइप, एंगल आयरन और रिक्शा के कबाड़ से मूर्तियां बनाई गई हैं. 'शहीदी पार्क' में इनके माध्यम से भारत के गौरवशाली इतिहास को दर्शाया गया है.
एमसीडी ने कहा कि 10 कलाकारों ने 700 कारीगरों के साथ मिलकर काम किया और छह महीने में कार्य पूरा किया. उसके मुताबिक, मूर्तियों को बनाने में करीब 250 टन कबाड़ का इस्तेमाल किया गया है.