Delhi News: एक दौर में दिल्ली की पहचान यमुना के किनारे बसे शहर के रूप में हुआ करती थी, लेकिन सदियों से यमुना नदी के साथ जुड़ी दिल्ली ने बीते कुछ दशकों में काफी तरक्की कर ली और ये विश्वस्तरीय शहर के रूप में स्थापित हो गई. अब दिल्ली के साथ जुड़ी यमुना अस्तित्वविहीन होती चली गई. यमुना के बुरे हालात का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि लोग इसे पवित्र नदी के बदले गंदा नाला कहने लगे. ऐसा कहना भी स्वाभावि है. ऐसा इसलिए कि दिल्ली से मिलने वाले अपशिष्ट और गंदे काले पानी ने इसे नाले की श्रेणी में ला खड़ा कर दिया.


इस बीच कई सरकारें आईं और गई, लेकिन यमुना को बचाने की दिशा में उनकी तरफ से कोई ठोस पहल नहीं किए गए. हालांकि, वर्षों पहले कांग्रेस की सरकार के समय में फैक्ट्रियों को अपना अपशिष्ट यमुना में गिराने से प्रतिबंधित कर दिया था. कुछ उद्योगों को दिल्ली से बाहर भी शिफ्ट किया गया, लेकिन यमुना की बदहाली में कुछ सुधार नहीं आया.




सिग्नेचर ब्रिज से आईटीओ बैराज तक का किया सफर  


यमुना नदी की इसी बदहाली को देखते हुए दिल्ली के उराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने यमुना की सफाई कर इसके मूल स्वरूप में लौटने के उद्देश्य से स्वच्छ यमुना अभियान की शुरुआत की थी. इस वर्ष 12 फरवरी को युद्धस्तर पर शुरू हुए इस अभियान में अब तक 1200 मीट्रिक टन कचड़ा यमुना से निकाला गया. अब तक हुए कार्य की प्रगति और यमुना की सफाई का रविवार को उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने जायजा लिया. इस दौरान उन्होंने सिग्नेचर ब्रिज से आईटीओ बैराज तक यमुना में 11 किलोमीटर की यात्रा कर सफाई की समीक्षा की.


यमुना सफाई अभियान पर जताया संतोष


यमुना अभियान का जायजा लेते वक्त एलजी वीके सक्सेना ने कहा कि अब तक यमुना नदी की सफाई को लेकर गंभीर प्रयास नहीं किए गए थे, लेकिन अब उनके इस स्वच्छता अभियान और काम का असर नजर आने लगा है. उन्होंने कहा कि पहली बार यमुना में एक साथ 25 से 30 नावें चलीं. इस दौरान कहीं भी यमुना नदी में प्लास्टिक या कचड़ा नहीं नजर आया. उन्होंने कहा कि यमुना की सफाई का लक्ष्य 30 जून निर्धारित किया गया है, अब तक जितनी भी सफाई हुई हैं, वो संतोषजनक हैं. बचे हुए हिस्से को भी तय समय में साफ कर लिया जाएगा. एलजी ने अब तक की सफलता पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि इस काम में कई मुश्किलें आईं, जो धीरे-धीरे आसान होती चली गईं. अगर किसी काम को करने का जज्बा हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है. उसी जज्बे के साथ यमुना की सफाई अभियान की शुरुआत की गई थी. उन्होंने कहा कि इससे पहले कभी इस तरह के प्रयास नहीं किए गए थे, जिस कारण यमुना गंदी होती चली गई.


पहले चरण में 1200 मीर्टिक टन कूड़े का हुआ निस्तारण


यमुना की सफाई का जायजा के दौरे को लेकर उन्होंने ट्वीट करते हुए बताया कि एचएलसी की निगरानी वाले यमुना सफाई अभियान के पहले चरण के पूरा होने पर यमुना के 11 किलोमीटर लंबे सिग्नेचर ब्रिज-आईटीओ बैराज खंड का निरीक्षण किया. 12 फरवरी को काम शुरू होने के बाद से यमुना से 1200 मीट्रिक टन कचरा हटाने के साथ यमुना में प्रमुख मापदंडों पर महत्वपूर्ण सुधार हुआ है. दूसरा चरण कल से शुरू होगा जिसमें यमुना के किनारों की सफाई और मिडस्ट्रीम की गंदगी को साफ करने के माध्यम से बदलाव पर ध्यान दिया जाएगा. नजफगढ़ ड्रेन की सफाई से भी बीओडी का स्तर साल दर साल काफी कम होने के मामले में अपेक्षित परिणाम मिले हैं. सरकारी एजेंसियों के अलावा बड़े-उद्योगों, छात्रों, पुजारियों, मीडिया और आम लोगों की भागीदारी ने निश्चित रूप से एक उत्साहजनक अंतर बनाया है. इसका प्रमाण यह है कि वजीराबाद और आईटीओ के बीच 11 किलोमीटर तक 30 मोटर बोट एक साथ नदी में तैर सकती हैं.


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