दिल्ली सीएम के आरोपों पर एलजी ने किया पलटवार, केजरीवाल को भेजी 4 पन्नों की चिट्ठी
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और एलजी विजय सक्सेना के बीच चल रहे विवाद में एक नया एपिसोड जुड़ गया है. सीएम के 'कौन है एलजी' वाले बयान पर अब सक्सेना ने पलटवार किया है.
Delhi Politics: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) और उपराज्यपाल विजय कुमार सक्सेना (Vijay Saxena) के बीच टकराव में एक और अध्याय जुड़ गया है. एलजी सक्सेना ने सीएम के संवैधानिक मर्यादा के ज्ञान पर सवाल उठा दिया है. एलजी ने कहा है कि अगर आपको संवैधानिक मर्यादा का ज्ञान होता तो शायद ऐसी शब्दों का प्रयोग सदन में नहीं किया जाता. इसके अलावा एलजी सक्सेना ने शिक्षा मॉडल को लेकर अपनी पीठ थपथपाते वाले सीएम केजरीवाल को लेकर दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था में खामियों का जिक्र किया है.
शिक्षकों की ट्रेनिंग के प्रस्ताव पर दिया जवाब
वहीं फिनलैंड में शिक्षकों की ट्रेनिंग के प्रस्ताव पर उपराज्यपाल ने लिखा है कि उनके द्वारा दिल्ली सरकार के इस प्रस्ताव को कभी भी अस्वीकृत नहीं किया गया है. केवल उससे जुड़े हुए कुछ नियम और जरूरी प्रावधान के तहत कुछ प्रश्न पूछे गए हैं. पत्र में एलजी द्वारा ये भी लिखा गया कि 2015 में डीडीए द्वारा दिल्ली सरकार को 13 प्लॉट स्कूल बनाने के लिए दिए गए. इसके साथ ही अगस्त 2022 में भी उपराज्यपाल कार्यालय द्वारा 6 अतिरिक्त प्लॉट दिए गए. लेकिन इतने वर्षों के बाद भी आज तक उन प्लॉट पर एक भी स्कूल दिल्ली सरकार द्वारा नहीं बनाया गया.
प्राइवेट स्कूलों में बढ़ छात्रों की हिस्सेदार
एलजी ने कहा कि आज प्राइवेट स्कूलों में छात्रों की हिस्सेदारी पहले की तुलना में 8% बढ़ गई है. जिन छात्रों की संख्या 2013-14 के प्राइवेट स्कूलों (Private Schools) में 35% हुआ करती थी, वह 2019-20 में 43% हो गई है. इसके अलावा पत्र में लिखा है कि 2009-10 में दिल्ली के स्कूलों में छात्रों का कक्षाओं में उपस्थिति 78% से भी अधिक हुआ करती था लेकिन 2019-20 में लगभग 61% ही छात्र छात्राएं उपस्थित रहे. कोरोना संकट के बाद जून 2022 तक सभी छात्रों की उपस्थिति केवल 74% ही दर्ज हो सकी. यह स्पष्ट दर्शाता है कि दिल्ली सरकार छात्रों के स्कूल में उपस्थिति को लेकर जिम्मेदार नहीं है.
आम आदमी पार्टी ने साधा बीजेपी पर निशाना
वहीं इस मामले को लेकर आम आदमी पार्टी ने भी प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी पर निशाना साधा है. आप के प्रवक्ता पवन शर्मा ने कहा है, "बीजेपी दिल्ली चुनाव नहीं जीत पाई, मगर उपराज्यपाल के माध्यम से पिछले दरवाजे से दिल्ली सरकार पर कब्जा करना चाहती है. दिल्ली के उपराज्यपाल न संविधान को मान रहे, न सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मान रहे हैं."
एलजी को सिर्फ 3 विषयों पर फैसला लेने का अधिकार: आप
पवन शर्मा ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट के फैसले में साफ-साफ लिखा है कि दिल्ली में सिर्फ 3 विषयों पर फैसला लेने का अधिकार उपराज्यपाल के पास है, जिसमें दिल्ली पुलिस, जमीन और पब्लिक आर्डर हैं. इसके अलावा सभी ट्रांसफर सब्जेक्ट्स जैसे पीडब्ल्यूडी, दिल्ली जल बोर्ड, स्वास्थ्य विभाग आदि सभी चुनी हुई राज्य सरकार के पास हैं और उपराज्यपाल दिल्ली कैबिनेट की ऐड एंड एडवाइस पर काम करेंगे. वहीं अगर किसी मामले पर उपराज्यपाल अलग राय रखते हैं, तो राष्ट्रपति को भेज सकते हैं, मगर मना नहीं कर सकते हैं."
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