Delhi News: दिल्ली सरकार(Delhi Government) ने गुरुवार को उच्च न्यायालय (High Court) को बताया कि उसने शराब पर छूट समाप्त कर दी है. दिल्ली सरकार ने कहा कि ये कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि इससे शहर में शराब को बढ़ावा मिल रहा था और इसेस बाजार में भी एकाधिकार भी बढ़ रहा था.


दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी (Abhishek Manu Singhvi) ने जस्टिस वी कामेश्वर राव (Justice V Kameswar) को बताया कि, “छूट की आड़ में बहुत सारे कदाचार चल रहे थे. उनमें से दो पर मैंने प्रकाश डाला है, एक उचित सीमा से अधिक शराब पीने को बढ़ावा देना और एकाधिकार करना.”


नए लाइसेंस धारकों द्वारा दायर क्या गया था मामला



  • बता दें कि ये मामला नए लाइसेंस धारकों द्वारा दायर किया गया था जिन्होंने शिकायत की थी कि छूट को खत्म करने का निर्णय मनमाना था और दिल्ली की नई उत्पाद नीति के खिलाफ भी था.

  • वहीं सिंघवी ने अदालत को बताया कि "छूट के माध्यम से दिल्ली नशे को बढ़ावा देने वाला शहर नहीं बन सकता."

  • वरिष्ठ वकील ने प्रस्तुत किया कि नई आबकारी नीति के शुरू होने के कुछ महीनों बाद, सरकार ने पाया कि शराब पर छूट या छूट का "बार-बार दुरुपयोग" किया जा रहा था, जिससे कदाचार बढ़ रहा था.

  • सिंघवी ने अदालत से कहा, "इस (छूट) का बार-बार दुरुपयोग किया जा रहा था और अनुचित और अजीब छूट नीति द्वारा लोगों को आकर्षित और लुभाया जा रहा था."


28 फरवरी को दिल्ली सरकार ने शराब पर दी गई छूट ले ली थी वापस


बता दें कि दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति ने शहर में खुदरा विक्रेताओं को पहली बार छूट पर या ऑफ़र के साथ शराब बेचने की अनुमति दी थी. जिसके बाद दुकानदारों द्वारा भारी छूट दिए जाने से शहर के कुछ स्टोरों में भीड़ की सूचना मिली थी. वहीं छूट की वापसी (जिसके संबंध में आदेश 28 फरवरी को जारी किया गया था) का आदेशऐ से समय में आया है जब दिल्ली में अगले महीने तीन नगर निगमों के लिए महत्वपूर्ण चुनावों होने हैं और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), जो वर्तमान में नगर निकायों को नियंत्रित करती है, ने नई आबकारी नीति को निशाना बनाया हुआ है.


दिल्ली सरकार को शनिवार तक जवाबी हलफनामा कोर्ट में दाखिल करना होगा


वहीं सिंघवी ने कहा कि सिटी सरकार अपने फैसले के कारणों पर प्रकाश डालते हुए एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करेगी. जिसके बाद न्यायमूर्ति राव ने शहर सरकार से शनिवार तक जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा और मामले को सोमवार के लिए टाल दिया. उन्होंने इस स्तर पर मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया.


याचिकाकर्ताओं ने कहा छूट खत्म करने से बिक्री में आई कमी


इधर याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि छूट को समाप्त करने के निर्णय के कारण उनकी बिक्री गिर गई है और लोग सस्ती शराब के लिए पड़ोसी शहरों की ओर भाग रहे हैं, जिससे उन्हें दैनिक आधार पर करोड़ों का नुकसान हो रहा है.


वकीलों ने दी ये दलीलें


दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने भी इन दावों को खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ताओं को करोड़ों का नुकसान हो रहा है, और उन्होंने अदालत से उनसे (शराब लाइसेंस धारकों) अपने बिक्री रिकॉर्ड पेश करने के लिए कहने का आग्रह किया. वहीं कई याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और साजन पूवैया ने तर्क दिया कि संबंधित प्राधिकारी द्वारा बिना किसी अधिकार क्षेत्र के आदेश पारित किया गया था और यह विकृत और मनमाना था. रोहतगी ने तर्क दिया कि, “राजस्व राज्य के लिए अर्जित किया गया था. अचानक एक दिन बिना किसी चेतावनी के, बिना किसी अधिकार क्षेत्र के एक आदेश जारी किया जाता है जिसमें कहा गया है कि भीड़ है इसलिए छूट बंद होनी चाहिए ... बिक्री 75% कम हो गई है. ”


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