Delhi Liquor News: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बीते दिनों आबकारी विभाग (Delhi Excise Department) द्वारा लाइसेंसधारकों से कहा है कि अब अलग-अलग ब्रांड्स के शराब पर छूट नहीं दी जाएगी. हालांकि अब यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट तक पहुंच गया है. एडवोकेट संजय एबॉट, तन्मय मेहता और हनी उप्पल के जरिए दायर की जगई याचिका दिल्ली सरकार के आबकारी विभाग को चुनौती दी गई है.


आबकारी विभाग के आदेश में कहा गया था कि शराब की दुकानों पर अब ग्राहकों को छूट या रियायत नहीं मिलेगी. आदेश में दुकानों के बाहर लगने वाली भीड़ और कोरोना के बढ़ते खतरे का हवाला दिया गया था.


याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति के तहत क्लॉज 4.1.9 (VIII) में कहा गया है "लाइसेंसधारक एमआरपी पर रियायत, छूट या छूट देने के लिए स्वतंत्र हैं." इसी तरह, टेंडर के क्लॉज 3.5 .1 में कहा गया है कि "लाइसेंसधारक एमआरपी पर रियायत, छूट या छूट देने के लिए स्वतंत्र हैं."


हाईकोर्ट में याचिकाकर्ताओं ने क्या कहा?
हाईकोर्ट में याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने कहा कि दिल्ली सरकार की कार्रवाई भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है. वकीलों ने कहा है कि नीति में बताए गए नियमों को वापस लेने से पहले उनकी सुनवाई नहीं की गई और यह प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन है.


याचिका में कहा गया है कि- "छूट देने वाले 'क्लॉज' नई आबकारी नीति योजना का एक अनिवार्य हैं ऐसे में आबकारी विभाग का आदेश विरोधाभासी है."


आबकारी विभाग ने आदेश में क्या कहा था?
गौरतलब है कि दिल्ली सरकार के आदेश में कहा गया है कि अगर भविष्य में लाइसेंसधारियों द्वारा किसी ब्रांड पर छूट या रियायत दिए जाने की सूचना मिलती है तो नियमों के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी.


आदेश के अनुसार ग्राहकों को दी जा रही छूट या रियायत के जरिए बाजार के लिए गलत परंपराएं शुरू हो रही थीं. कम समय में ज्यादा लाभ कमाने की कोशिश में मार्केट को नुकसान पहुंचाया जा रहा था. 


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