Delhi Excise Policy: दिल्ली के छह जोन में शराब की दुकानें जल्द खुलने की उम्मीद कम, जानें- वजह
Delhi News: आदेश के मुताबिक एक सितंबर से आबकारी नीति 2021-22 समाप्त हो जाएगी और इसके बदले दिल्ली सरकार पुरानी व्यवस्था लागू करेगी. छह जोन में जारी लाइसेंस को लाइसेंस धारकों ने लौटा दिया है.
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा निजी विक्रेताओं के साथ-साथ होटल और बार को जारी शराब लाइसेंस की मियाद एक महीने और बढ़ाने के आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के कदम को मंजूरी दिए जाने के बाद राष्ट्रीय राजधानी में मंगलवार को शराब की दुकानें दोबारा खुलीं. हालांकि, दिल्ली के छह जोन में शराब की दुकानों के जल्द खुलने की उम्मीद कम है क्योंकि इन जोन का लाइसेंस धारण करने वालों ने अपना-अपना लाइसेंस लौटा दिया है.
अधिकारियों ने बताया कि छह जोन के लाइसेंस धारकों ने मियाद विस्तार से दूर रहने का फैसला किया और उन्होंने लाइसेंस लौटा दिया है, जिसकी वजह से इन जोन की 126 शराब दुकानें बंद रहेंगी. इसके साथ ही दिल्ली में शराब की दुकानों की संख्या में और कमी आएगी और 31 जुलाई के 468 के मुकाबले अब 343 शराब दुकानें ही रह जाएंगी.
मंगलवार को खुली शराब की दुकानें
गौरतलब है कि सोमवार को 31 जुलाई तक के लाइसेंस की मियाद खत्म होने के बाद दिल्ली के 468 निजी शराब विक्रेताओं ने अपनी दुकानें बंद कर दी थी. हालांकि, सोमवार देर रात आबकारी विभाग द्वारा खुदरा और थोक बिक्री के लिए जारी लाइसेंस की मियाद बढ़ाने के लिए अधिसूचना जारी किए जाने के बाद ये दुकानें मंगलवार को दोबारा खुली. राष्ट्रीय राजधानी में मंगलवार को खुली शराब की दुकानों के सामने शुरुआती घंटों में कम भीड़ देखी गई. लक्ष्मी नगर में शराब की दुकान चला रहे व्यक्ति ने बताया, ‘‘आमतौर पर सुबह कारोबार मंदा रहता है. आज मंगलवार होने के साथ-साथ सावन (श्रावण) भी है. इस दौरान कई लोग शराब पीने से परहेज करते हैं.’’ दिल्ली सरकार के आबकारी विभाग ने सोमवार को आदेश जारी कर कहा था कि शराब की खुदरा और थोक बिक्री के लिए जारी लाइसेंस की मियाद 31 अगस्त तक बढ़ाई जाती है. हालांकि निर्धारित अवधि के लिए शुल्क का भुगतान करना होगा.
छह जोन में जारी लाइसेंस लौटाए गए
आदेश के मुताबिक एक सितंबर से आबकारी नीति 2021-22 समाप्त हो जाएगी और इसके बदले दिल्ली सरकार पुरानी व्यवस्था लागू करेगी. दिल्ली के छह जोन जहां पर शराब बिक्री के लिए जारी लाइसेंस लौटा दिया गया है, उनमें आंनद विहार, शकरपुर, झिलमिल, पहाड़गंज, रोहिणी ई, चांदनी चौक, सरिता विहार, नजफगढ़, ग्रेटर कैलाश और दरियागंज जैसे इलाके शामिल हैं. अधिकारियों ने बताया कि इससे पहले 31 मार्च को 10 जोन के लाइसेंस धारकों ने अपने-अपने लाइसेंस सरकार को वापस कर दिए थे. इस प्रकार कुल 32 जोन में से आधे जोन में एक महीने के विस्तारित ट्रांजिट समय में शराब की बिक्री नहीं हो सकेगी. एक जोन के लाइसेंस धारक ने बताया, ‘‘कुल मिलाकार धारणा है कि इस कारोबार के लिए अनुकूल माहौल नहीं है. निजी लाइसेंस धारकों को केवल एक महीने के लिए काम करने की अनुमति दी गई है, इसलिए इस कारोबार के प्रति उनकी अब कम रुचि है.’’ उन्होंने कहा कि चूंकि 16 जोन के लाइसेंस वापस कर दिए गए हैं, ऐसे में निकट भविष्य में दिल्ली में शराब की सामान्य उपलब्धता होनी मुश्किल है.
गौरतलब है कि 17 नवंबर को लागू आबकारी नीति 2021-22 के तहत दिल्ली को 32 जोन में बांटा गया था और प्रत्येक जोन में अधिकतम 27 शराब की दुकानें खोलने की अनुमति दी गई थी. जोन के आधार पर लाइसेंस प्राप्त करने के इच्छुक पक्षों को खुली बोली प्रक्रिया के जरिये लाइसेंस जारी किए गए थे.
करीब आठ महीने तक प्रभावी रही नीति के तहत करीब 644 शराब की दुकानें ही खोली जा सकी. नगर निकाय एजेंसियों द्वारा मॉस्टर प्लान का उल्लंघन कर गैर अनुकूल क्षेत्र में दुकानें खोलने का हवाला देकर कार्रवाई और उम्मीद से कम लाभ की वजह से लाइसेंसी दुकानों की संख्या धीरे-धीरे कम होकर 468 रह गई. कंफेडरेशन ऑफ इंडियन अल्कोहोलिक बीव्रेज कंपनीज (सीआईएबीसी) ने हालांकि, इस एक महीने के विस्तार को खारिज कर दिया है.
सीआईएबीसी के महानिदेशक विनोद गिरि ने कहा, ‘‘शुरू-बंद-शुरू के चक्र या एक महीने जैसे अल्पकाल के लिए विस्तार से आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित होती है या तो माल जमा हो जाता है या खत्म हो जाता है जिसे ठीक करने में समय लगता है.’’ इस बीच, दिल्ली सरकार द्वारा संचालित दिल्ली स्टेट इंडस्ट्रियल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड(डीएसआईआईडीसी), दिल्ली पर्यटन एवं परिवहन विकास निगम (डीटीटीडीसी), दिल्ली कंज्यूमर्स कोऑपरेटिव होलसेल स्टोर (डीसीसीडब्ल्यूएस), दिल्ली राज्य नागरिक आपूर्ति निगम (डीएससीएससी) एक सितंबर से शराब की दुकाने खोलने के लिए सक्रिय हो गए हैं. गौरतलब है कि 17 नवंबर 2021 से पहले दिल्ली में 864 शराब की दुकानें थी जिनमें से सरकार के चार निगम 475 दुकानों का परिचालन करते थे जबकि बाकी निजी लाइंसेंस धारकों की दुकानें थीं.