Delhi Air Pollution: दिल्ली में ठंड की दस्तक के साथ ही प्रदूषण का स्तर भी बढ़ने लगा है. वायु प्रदूषण की वजह से दिल्ली वाले पिछले कुछ दिनों से स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे हैं. ऊपर से इस मौसम में मच्छरजनित डेंगू लोगों की परेशानियों में और भी इजाफा कर रहा है. हालात ऐसे हैं कि दिल्ली के लगभग हर दूसरे या तीसरे घर में कोई न कोई जरूर बीमार है. 


प्रदूषण की वजह से लोग आंखों में जलन, गले में खराश, फेफड़ों में जकड़न या फिर डेंगू का सामना कर रहे हैं. ऐसे में बढ़ते प्रदूषण और मच्छरजनित बीमारियों से बचके रहना लोगों के लिए अहम चुनौतियों में से एक है. इस बात को ध्यान में राखते हुए एबीपी लाइव की टीम ने लोक नायक जय प्रकाश अस्पताल के डीएमएस डॉ. ऋतु सक्सेना से बातचीत की. 


एलएनजेपी में डेंगू के 22 मरीज 


एलएनजेपी अस्पताल की डीएमएस डॉ. ऋतु सक्सेना ने बताया कि बढ़ते प्रदूषण के बीच डेंगू के मरीजों की भी संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है. एलएनजेपी जो कि दिल्ली सरकार का सबसे बड़ा अस्पताल है, यहां पर अभी 22 मरीज एडमिट हैं. इनमें बच्चे और बुजुर्ग दोनों ही आयु वर्ग के मरीज शामिल हैं. 


डेंगू मरीज का इलाज अस्पताल के विशेष फीवर वार्ड में चल रहा है. अगर किसी को फीवर की प्रॉब्लम होती तो उसको फीवर वार्ड में ही रखा जाता है. उन्होंने कहा कि डेंगू के मरीजों की संख्या पिछले महीने की तुलना में काफी बढ़ गई है.


ऐसे होती है डेंगू के मरीजों की पहचान


उन्होंने बताया कि दिल्ली में जिस तरह से एक्यूआई 300 के पार रह रहा है और लोगों को इस कारण जिन स्वास्थ्य सम्बंधी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, उसमें फीवर भी शामिल है. यह पूछे जाने पर कि अस्पताल में किस तरह से डेंगू के मरीजों या फिर टायफायड या फिर अन्य फीवर के मरीजों की पहचान की जाती है. क्या कुछ अलग तरीके से उनका उपचार किया जा सकता है?


इसके जवाब में डॉ. ऋतु सक्सेना ने कहा कि डेंगू में हाई ग्रेड फीवर आता है और मरीजों के शरीर मे काफी पेन रहता है. शरीर पर रैशेज भी हो जाते हैं. इस तरह से वे मरीजों के सिम्टम्स को पहचान कर उनके लिए अलग इलाज की व्यवस्था करते हैं. शुरुआत में सभी को फीवर वार्ड में ही एडमिट किया जाता है. फिर डेंगू के मरीजों की पहचान होने पर उनके डेंगू का इलाज किया जाता है.


वायु-प्रदूषण से लोगों को आ रही ये दिक्कतें


उन्होंने वायु-प्रदूषण से लोगों को हो रही समस्याओं को लेकर कहा कि इसकी वजह से लोगों को आंखों में जलन, लालीपन, गले में परेशानी, खांसी, सांस लेने में दिक्कत आदि समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. खास बात यह है कि उन मरीजों को भी फेफड़ों में जकड़न या सांस लेने की दिक्कत हो रही है, जिन्हें पहले से इस तरह की समस्या कभी नहीं रही. 


अस्थमा और कोविड से पीड़ित मरीजों को इससे खासी परेशानी हो रही है. बीते कुछ दिनों में इन समस्याओं के मरीजों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है और अस्पतालों में कई मरीज इन दिनों इलाज के लिए आ रहे हैं.


एयर-प्यूरीफायर और प्लांट्स का करें इस्तेमाल


डॉ. सक्सेना ने कहा कि सुबह-शाम वॉक या जॉगिंग करने वालों के लिए ये ज्यादा हानिकारक है, क्योंकि उस वक्त सबसे ज्यादा प्रदूषण वातावरण में मौजूद रहता है. लोग सुबह-शाम जॉगिंग या वॉक करने से परहेज करें. जरूरी न हो तो घरों में ही रहें. एयर-प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें. बाहर निकलने पर सार्वजनिक वाहनों खासतौर पर मेट्रो का इस्तेमाल करें. बाहर बिना मास्क के न निकलें. उन्होंने कहा कि, जो लोग घरों में एयर-प्यूरीफायर नहीं लगा सकते हैं वे प्लांट्स को घरों में रखें. 


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