Delhi Voting Percentage: राजधानी दिल्ली में 25 मई को छठे चरण के तहत मतदान कराए गए थे. निर्वाचन आयोग (Election Commission) से मिली जानकारी के मुताबिक दिल्ली में केवल 58.03 फीसदी मतदान हुआ जो कि 2019 और 2014 चुनाव दोनों की तुलना में कम है. पिछले लोकसभा चुनाव में 60.60 प्रतिशत और 2014 लोकसभा चुनाव में 65.10 फीसदी मतदान हुआ था.
राजधानी दिल्ली में भी सात सीटों के लिए मतदान कराया गया. . चुनाव आयोग, राजनीतिक दलों और तमाम सरकारी-गैर सरकारी संस्थाओं की कोशिशों के बावजूद दिल्ली में मतदान के प्रतिशत को नहीं सुधारा जा सका. शनिवार रात 11 बजे तक निर्वाचन आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी में कुल 58.03 प्रतिशत मतदान हुआ. हालांकि, आयोग द्वारा यह कहा गया है कि यह अंतिम आंकड़े नहीं हैं इसमें और सुधार हो सकता है.
क्षेत्रवार ऐसा रहा प्रदर्शन
सातों सीटों के आंकड़ों को देखें तो चांदनी चौक संसदीय क्षेत्र में कुल 58.06 प्रतिशत मतदान हुआ, जो 2019 में हुए चुनाव में 62.67 प्रतिशत की तुलना में 4.61 प्रतिशत कम रहा. ऐसे ही पूर्वी दिल्ली में 58.37 प्रतिशत रहा, जो 2019 के 60.92 प्रतिशत की तुलना में कम है. वही नई दिल्ली में 55.25 प्रतिशत, उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 62.87, उत्तर-पश्चिम में 57.06, दक्षिणी दिल्ली में 55.15 और पश्चिमी दिल्ली में 58.28 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट डाला. जबकि, 2019 में इन क्षेत्रों में क्रमशः 56.90 प्रतिशत, 63.41, 58.97, 58.59 और 60.64 प्रतिशत मतदान हुआ था.
नई दिल्ली सीट फिर रही फिसड्डी, यमुना पार रहा अव्वल
गौर करने वाली बात यह है कि, लुटियन दिल्ली, जो देश की लोकसभा से काफी नजदीक है और दिल्ली के सबसे पॉश इलाकों में शुमार है, वह नई दिल्ली लोकसभा सीट मतदाता के मामले फिसड्डी रही, जबकि इन दोनों चुनावों में संकरी गलियों वाले यमुना पार के इलाके के मतदाताओं ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और राजधानी में मतदान में बाजी मारी.
डेढ़ लाख नए मतदाताओं के बावजूद नहीं हुआ सुधार
हालांकि, इस बार दिल्ली के 1.52 करोड़ मतदाताओं में डेढ़ लाख वे मतदाता भी शामिल थे, जो नए थे और पहली बार मतदान कर रहे थे, जिसे लेकर उनमें उत्साह भी था. बावजूद इसके दिल्ली के वोट प्रतिशत में सुधार नहीं आया. वहीं आयोग ने भी मतदान प्रतिशत में सुधार के लिए काफी कोशिशें की थी.
मतदाताओं के लिए तमाम तरह की सुविधाओं समेत दिल्ली के 2627 स्थानों पर 13 हजार से ज्यादा मतदान केंद्र बनाए थे, ताकि मतदाता बिना किसी परेशानी के इस भीषण गर्मी में जल्दी से जल्दी मतदान कर सकें. लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद मतदान प्रतिशत में अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पाया.
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