(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Delhi: कुत्ते के भौंकने पर शख्स ने फेंका एसिड, कोर्ट ने सुनाई एक साल की सजा, इतने हजार का लगाया जुर्माना
Delhi News: कोर्ट ने कहा कि जानवर के लिए जीवन उतना ही प्रिय है जितना कि किसी इंसान के लिए है. एक इंसान से यह उम्मीद की जाती है कि वह यह याद रखे कि जानवरों के प्रति उसका व्यवहार मानवता को दर्शाता है.
Delhi Latest News: दिल्ली में 70 वर्षीय व्यक्ति से एक कुत्ते पर तेजाब फेंका जिससे उसकी एक आंख खराब हो गई. अब इस मामले में कोर्ट ने शख्स को एक साल कारावास की सजा सुनाई है. कोर्ट ने कहा कि एक जानवर का जीवन उतना ही प्यारा और महत्पूर्ण है जितना कि किसी भी इंसान के लिए है.
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ऋचा शर्मा ने यह भी कहा कि यह घटना रोंगटे खड़े कर देने वाली है. इसने कोर्ट की अंतरात्मा को झकझोर दिया है और इसमें किसी भी तरह की नरमी बरतने से समाज में गलत संदेश जाएगा. ऋचा शर्मा आरोपी महेंद्र सिंह के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रही थीं, जिन्हें पहले आईपीसी की धारा 429 और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के प्रावधान के तहत अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया था.
अभियोजन पक्ष के अनुसार दिल्ली के पहाड़गंज इलाके में शिकायतकर्ता के कुत्ते के महेंद्र सिंह पर भौंकने के बाद वह अपने घर के अंदर गया और तेजाब लाया और 7 फरवरी 2020 को कुत्ते पर फेंक दिया. अदालत ने कहा कि "जानवर के लिए जीवन उतना ही प्रिय है जितना कि किसी भी इंसान के लिए है."
इस घटना ने कोर्ट की रूह को कंपा दिया
कोर्ट ने कहा "एक इंसान से यह उम्मीद की जाती है कि वह यह याद रखे कि जानवरों के प्रति उसका व्यवहार मानवता को दर्शाता है. जानवरों के प्रति दयालु होना हमारी जिम्मेदारी है. दोषी ने इस तरह का अपराध किया है, जो न केवल इस अदालत की अंतरात्मा को झकझोरता है, बल्कि रूह को भी कंपा दिया है."
कोर्ट ने आगे कहा कि कुत्ते की एक आंख को खोने के लिए किसी तेजाब या जलने वाले पदार्थ को फेंकने का कृत्य गंभीर और संगीन है और ऐसे व्यक्ति को कम सजा देकर छोड़ देना और दोषी को कोई भी रियायत देना समाज में एक गलत संदेश देगा. अदालत ने सरकारी वकील द्वारा अधिकतम सजा की मांग और बचाव पक्ष के वकील द्वारा दोषी की उम्र, मेडिकल स्थिति और खराब आर्थिक स्थिति के कारण नरम रुख अपनाने की दलील पर गौर किया.
कोर्ट ने कहा कि कानूनी सुनवाई आरोपी के दोषी या निर्दोष होने का पता लगाने के लिए की जाती है और अदालतें अभियोजन पक्ष को छूट देने या आरोपी के पक्ष में कानून की व्याख्या करने के लिए बाध्य नहीं हैं. न्यायालय ने आरोपी को एक साल के साधारण कारावास और 10,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई.