MCD Mayor Election 2024: 'चंडीगढ़ मेयर चुनाव की तरह एमसीडी में हेरफेर करने की कोशिश करेगी BJP,' सौरभ भारद्वाज का आरोप
Delhi MCD Mayor Election: मंत्री सौरभ भारद्वाज ने एलजी वीके सक्सेना को पत्र लिखा है. इसके साथ ही उन्होंने बीजेपी पर चंडीगढ़ मेयर चुनाव की तरह दिल्ली एमसीडी चुनाव में धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया है.
Delhi MCD Mayor Election 2024: दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार की तरफ से मंगलवार को केंद्र की बीजेपी सरकार पर बड़ा आरोप लगाया गया है. AAP ने कहा कि बीजेपी दिल्ली एमसीडी में वही धोखा दोहराना चाहती है जो उसने चंडीगढ़ मेयर के चुनाव में किया था. यह आरोप दिल्ली के शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज द्वारा उपराज्यपाल वीके सक्सेना को लिखे पत्र के बाद आया है. उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्य सचिव ने उनकी अनदेखी की और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के मेयर चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति से संबंधित फाइल सीधे उपराज्यपाल कार्यालय को भेज दी.
मंत्री सौरभ भारद्वाज की तरफ से एलजी वीके सक्सेना को लिखे अपने पत्र में इस निर्देश के साथ फाइल मुख्य सचिव को लौटाने का अनुरोध किया कि इसे शहरी विकास मंत्री के माध्यम से फिर से भेजा जाना चाहिए. मंत्री के दावों पर उपराज्यपाल कार्यालय और मुख्य सचिव नरेश कुमार से तत्काल कोई प्रतिक्रिया उपलब्ध नहीं हो सकी. AAP सरकार की तरफ से एक बयान में कहा गया कि ऐसा प्रतीत होता है कि बीजेपी शासित केंद्र सरकार उसी धोखाधड़ी को दोहराना चाहती है जो उन्होंने चंडीगढ़ मेयर चुनाव में की थी.
आप नेता ने कहा कि वे एमसीडी के मेयर चुनाव में भी हेरफेर करने की कोशिश करेंगे. इसमें कहा गया है कि उन्हें उसी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ेगा जो उन्हें चंडीगढ़ मेयर चुनाव मामले में सुप्रीम कोर्ट में झेलनी पड़ी थी. इस साल जनवरी में हुए चंडीगढ़ मेयर चुनाव में डाले गए आठ वोटों को रिटर्निंग ऑफिसर ने अवैध घोषित कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने बाद में वोटों को वैध करार दिया और AAP और कांग्रेस के संयुक्त उम्मीदवार को चुनाव का विजेता घोषित किया था.
सौरभ भारद्वाज का दावा- फाइल सीधे एलजी को भेजी
एलजी को लिखे अपने पत्र में मंत्री भारद्वाज ने कहा कि मामला एक स्थानांतरित विषय था और यह संविधान के अनुसार, यह आता है. इसपर दिल्ली की चुनी हुई सरकार का नियंत्रण होना चाहिए. पिछले सालों की तरह इसे शहरी विकास मंत्री के माध्यम से ही भेजा जाना चाहिए था. हालांकि, फाइल मूवमेंट से यह स्पष्ट है कि सीएस (मुख्य सचिव) नरेश कुमार ने जानबूझकर अधोहस्ताक्षरी को दरकिनार कर दिया है. उन्हें अच्छी तरह मालूम है कि मुख्यमंत्री न्यायिक हिरासत में हैं. हालांकि उन्होंने जानबूझकर फ़ाइल को सीएम के कार्यालय में भेजा और जैसा कि अपेक्षित था उन्हें वह फ़ाइल वापस मिल गई. मंत्री भारद्वाज ने दावा किया, और फिर उन्होंने फाइल सीधे आपके (एलजी) को भेज दी.
‘जानबूझकर चुनी हुई सरकार को नजरअंदाज किया’
पिछले साल जनवरी में दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के मेयर चुनाव के दौरान, एक पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति के मुद्दे पर AAP और भाजपा के बीच विवाद हो गया था क्योंकि उपराज्यपाल ने इस पद के लिए एक भाजपा पार्षद को नामित किया था. उन्होंने मेयर चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति के मामले में दिल्ली की निर्वाचित सरकार को दरकिनार करने की साजिश का आरोप लगाया.
मंत्री भारद्वाज ने कहा कि मुख्य सचिव का आचरण सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के खिलाफ था. यह पहली बार नहीं है कि सीएस नरेश कुमार ने ऐसा किया है. उन्होंने एमसीडी मेयर के विदेश दौरे की मंजूरी के पिछले मुद्दे का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि स्थानांतरित विषयों के मामले में जानबूझकर चुनी हुई सरकार को नजरअंदाज किया गया.
‘मुख्य सचिव के खिलाफ क्यों नहीं हुई कार्रवाई’
मंत्री भारद्वाज ने दावा किया कि ऐसे कई अन्य उदाहरण हैं जहां मुख्य सचिव ने जानबूझकर चुनी हुई सरकार को नजरअंदाज किया. इसके बाद भी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. मंत्री ने अपने पत्र में कहा, आपसे अनुरोध है कि जानबूझकर और बार-बार किए गए कदाचार के लिए आप सीएस नरेश कुमार के खिलाफ उचित कार्रवाई कर सकते हैं.
26 अप्रैल को होना है मेयर चुनाव
एमसीडी का मेयर चुनाव 26 अप्रैल को होना है, हालांकि इसके लिए मंजूरी मिल गई है चुनाव के पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति अभी उपराज्यपाल कार्यालय से नहीं आई है। सरकार, मुख्यमंत्री कार्यालय के माध्यम से, पीठासीन अधिकारी के नाम वाली फाइल को उनकी मंजूरी के लिए एलजी के पास भेजती है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के 7 मई तक न्यायिक हिरासत में होने के कारण, मामला लटका हुआ था. आम आदमी पार्टी एमसीडी में कुल 250 में से 137 पार्षदों के बहुमत के साथ शासन करती है, जबकि भाजपा के पास नगर निकाय के सदन में 105 पार्षद हैं.
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