Delhi Mayor Election: दिल्ली मेयर चुनाव को लेकर नही थम रहा BJP-AAP में बवाल, मामला शांत कराने का क्या है विकल्प? जानिए
इस हंगामे के बीच दिल्ली की जनता बुनियादी समस्याओं को दूर करने के लिए अपने अगले मेयर चेहरे का इंतजार कर रही है. अब सवाल यहां पर यह है कि आखिर कब तक शुरू होगी सदन की बैठक.
Delhi Mayor Election: दिल्ली में एमसीडी चुनाव के बाद राजधानी को अपने अगले मेयर डिप्टी मेयर का बेसब्री से इंतजार था. दिल्ली की बुनियादी सुविधाओं को दुरुस्त करने के लिए ये जनप्रतिनिधि जल्द से जल्द जमीन पर उतर कर समस्याओं को दूर करते, लेकिन छह जनवरी को हुआ कुछ ऐसा हुआ, जिसने भारतीय लोकतंत्र को शर्मसार कर दिया. दिल्ली के सिविक सेंटर में अभी मेयर और डिप्टी मेयर के लिए वोटिंग प्रक्रिया शुरू भी नहीं हुई थी कि आम आदमी पार्टी और बीजेपी के पार्षद आपस में भिड़ गए, मारपीट और कपड़ा फाड़ने तक की नौबत आ गई.
इसी वजह से सदन की पहली बैठक को अगली तिथि के लिए टाल दिया गया. इस कारण मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव भी नहीं हो सका. इसके बाद शनिवार को भी आम आदमी पार्टी की तरफ से एलजी आवास के बाहर और बीजेपी की तरफ से राजघाट में एक.दूसरे पर इस घटना को लेकर आरोप लगाए गए और प्रदर्शन किया गया. लेकिन, इस हंगामे के बीच दिल्ली की जनता बुनियादी समस्याओं को दूर करने के लिए अपने अगले मेयर चेहरे का इंतजार कर रही है. अब सवाल यहां पर यह है कि आखिर कब तक शुरू होगी सदन की बैठक.
संविधान विशेषज्ञ बोलेः नही हुआ किसी भी नियम का उल्लंघन
आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच चल रही कलह को शांत कर नगर निगम का कार्यकाल शुरू होने पर दिल्ली की जनता की निगाहें टिकी हैं. एबीपी लाइव ने जब सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता आशुतोष बंसल से बतौर संविधान विशेषज्ञ के रूप में सवाल किया तो उन्होंने कहा कि दिल्ली देश की राजधानी होने के साथ-साथ केंद्र शासित प्रदेश भी है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 239 के अनुसार दिल्ली का संवैधानिक प्रमुख उपराज्यपाल होता है. एमसीडी में इस घटनाक्रम को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी और शक्तियां उपराज्यपाल के पास हैं. अभी अगले सदन की बैठक के लिए किसी प्रकार का नोटिफिकेशन और आदेश जारी नहीं किया गया है. हालांकि, उपराज्यपाल अपनी शक्तियों का प्रयोग करके अगली बैठक और मेयर डिप्टी मेयर चुनाव को कभी भी संपन्न करा सकता है.
क्या छह जनवरी को पीठासीन अधिकारी ने संविधान का उल्लंघन किया. इस सवाल का जवाब देते हुए आशुतोष बंसल ने कहा कि छह जनवरी को जब पीठासीन अधिकारी सत्य शर्मा ने मनोनीत पार्षदों को शपथ दिलाना शुरू किया तो यह कहीं से भी एमसीडी कानून व भारतीय संविधान का उल्लंघन नहीं है. अप्रैल 2022 में एमसीडी कानून में हुए बदलाव के अनुसार गृह मंत्रालय के दिशा निर्देश पर उपराज्यपाल अपने विवेकानुसार 10 पार्षदों को मनोनीत कर सकते हैं. पीठासीन अधिकारी द्वारा शपथ दिलाना भी एमसीडी कानून में है.
इसके अलावा जब अधिवक्ता से यह सवाल पूछा गया कि क्या सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप कर सकता है तो उन्होंने एबीपी लाइव से बातचीत के दौरान कहा कि जब तक पार्टी द्वारा इस मामले को लेकर कोर्ट में याचिका नहीं दाखिल की जाती, तब तक सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा. हां यह जरूर है कि अगर लंबे समय तक इस समस्या का समाधान नहीं होता है तो कोर्ट इस मामले पर संज्ञान ले सकता है.
नहीं थम रहा बवाल, मेयर चुनाव को लेकर बीजेपी आप आमने-सामने
छह जनवरी को सिविक सेंटर में नगर निगम के मेयर चुनाव में हुए हिंसक घटना ने राजधानी के साथ-साथ देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को भी चोट पहुंचाई है. सदन के बाद अब यह हंगामा दिल्ली की सड़कों पर देखा जा रहा है. शनिवार को आम आदमी पार्टी ने जहां इस मामले को लेकर एलजी आवास के बाहर धरना प्रदर्शन किया, वहीं भारतीय जनता पार्टी ने राजघाट पर आप के खिलाफ गुंडागर्दी व लोकतांत्रिक व्यवस्था का उल्लंघन करने का आरोप लगाया. इन सबके बीच लोगों को इस बात का इंतजार है कि दिल्ली को अपना अगला मेयर कब तक मिलेगा.
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