Delhi Mayor Election: 'सैयां भये कोतवाल, अब डर काहे का...' जब बहुमत केजरीवाल के पास तो फिर मेयर बनाने में क्या परेशानी?
Delhi Politics: बीजेपी नेताओं का कहना है कि आप को एमसीडी में बहुमत है. इसके बावजूद वह मेयर चुनाव में हार की आशंका से क्यों डरी है?
Delhi Mayor Election: दिल्ली एमसीडी चुनाव के परिणाम आए डेढ़ महीने से भी ज्यादा का वक्त हो चुका है, लेकिन अब तक दिल्ली को अपना मेयर नहीं मिल पाया है. इसके लिए पहली बार 6 जनवरी और दूसरी बार 24 जनवरी को सदन की बैठक बुलाई गई थी, लेकिन दोनों ही बार आप और बीजेपी के पार्षदों के बीच झड़प की वजह से सदन में मेयर, उप-मेयर और स्टैंडिंग कमिटी के सदस्यों का चुनाव स्थगित करना पड़ा. जिसके बाद आम आदमी पार्टी की शैली ओबेरॉय ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा कर चुनाव कराने की मांग की है.
दरअसल, 7 दिसंबर 2022 को एमसीडी चुनाव के नतीजे आए थे, जिसके एक महीने के बाद 6 जनवरी को सदन की पहली बैठक बुलाई गई थी. बैठक में उपराज्यपाल के 10 मनोनीत सदस्यों सहित सभी नवनिर्वाचित पार्षदों के शपथ ग्रहण के बाद मेयर, उपमेयर और स्टैंडिंग कमिटी के सदस्यों का चुनाव होना था, लेकिन आप और बीजेपी के पार्षदों द्वारा हंगामे और हाथापाई के कारण चुनाव को टाल कर सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया था. लंबी खींचतान और आरोप-प्रत्यारोप के बीच आखिरकार 24 जनवरी को दूसरी बार सदन की बैठक बुलाई गई और उम्मीद जाहिर की जा रही थी कि इस बार दिल्ली को अपना मेयर मिल जाएगा, लेकिन एक बार फिर आम आदमी पार्टी की तरफ से की गई आपत्ति आप और बीजेपी के बीच हंगामे और हाथापाई में बदल गई और दिल्ली एक बार फिर मेयर महरूम रही.
बहुमत के बाद भी जीत को लेकर आशंका क्यों?
दिलचस्प बात ये है कि एमसीडी की 250 सीटों में से आप ने 134 सीटों पर कब्जा जमाकर बहुमत हासिल किया था. बावजूद इसके आम आदमी पार्टी को सदन में अपनी जीत का भरोसा नहीं है. आम आदमी पार्टी को उपराज्यपाल द्वारा मनोनीत किये गए सदस्यों की वोटिंग को लेकर आपत्ति है, उन्हें डर है कि अगर वो वोट करते हैं तो सदन में उनका गणित बिगड़ सकता है. कथित तौर पर उपराज्यपाल ने आप की सहमति के बिना 10 सदस्यों को मनोनीत किया है. सदन की पहली बैठक में भी उन 10 सदस्यों को पहले शपथ दिलाने पर आप ने पीठासीन अधिकारी से आपत्ति दर्ज की थी. र आप और बीजेपी में धक्का-मुक्की शुरू हुई जिस कारण सदन की बैठक स्थगित करनी पड़ी थी. दूसरी बार भी सभी के शपथ ग्रहण की प्रक्रिया के पूरा होने के बाद आप ने पीठासीन अधिकारी से उन्हें वोटिंग से पहले सदन से बाहर करने की मांग की थी, जिसके बाद आप और बीजेपी के पार्षदों में फिर से झड़प शुरू हो गई. नतीजा यह निकला कि एक बार फिर से चुनाव को स्थगित करना पड़ा.
मेयर चुनाव को लेकर अब आप पहुंची सुप्रीम कोर्ट
एमसीडी में 134 सीटों पर आप का कब्जा है. बीजेपी को 104 सीटें मिली थी. वहीं कांग्रेस 9 और अन्य के खाते में 3 सीटें आई थी. एक निर्दलीय उम्मीदवार के बीजेपी में शामिल हो जाने की वजह से उनकी संख्या 105 हो जाती है. सदन में होने वाले चुनाव में नव निर्वाचित पार्षदों के अलावा 7 लोकसभा सांसद, 3 राज्यसभा सांसद और 14 नॉमिनेटेड विधायक भी भाग लेंगे. ऐसे में उपराज्यपाल द्वारा मनोनीत 10 सदस्यों की वोटिंग उन पर भारी पड़ सकती है. ऐसा अब तक एमसीडी में नहीं हुआ है, लेकिन आप को आशंका है कि मनोनीत सदस्यों को भी वोटिंग प्रक्रिया में शामिल किया जा सकता है और इसी वजह से सदन में बार-बार हंगामा खड़ा हो रहा है, जिसे ही दूर कर चुनाव कराने की मांग लेकर आप ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
क्या AAP को संवैधानिक व्यवस्था में नहीं है विश्वास!
आम आदमी पार्टी की मेयर उम्मीदवार शैली ओबेरॉय के सुप्रीम कोर्ट पहुंचने पर भारतीय जनता पार्टी दिल्ली के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने ट्वीट कर ये लिखा कि ... जवाब दें कि आखिर जब बहुमत उनके पास है तो फिर मेयर बनाने में उन्हें क्या परेशानी है? आज (AAP) कोर्ट का दरवाजा खटखटा रही है, लेकिन उसको यह भी बताना होगा कि सदन में माइक उठाकर किसने फेंके, पीठासीन अधिकारी की कुर्सी पर चढ़कर गुंडागर्दी कौन कर रहा था? उन्होंने आगे कहा कि आम आदमी पार्टी का काम है, लोगो को गुमराह करना. आम आदमी पार्टी संवैधानिक व्यवस्था में विश्वास नही रखती है.
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