Delhi MCD Results 2022: दिल्ली नगर निगम के 250 वार्डों पर हुए चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) ने बीजेपी का चक्रव्यूह तोड़ते हुए जीत दर्ज की है. आप ने पिछले 15 सालों से एमसीडी में काबिज बीजेपी को बाहर का रास्ता दिखा दिया है. एमसीडी चुनाव में आप ने बहुमत से भी उपर का आंकड़ा पार कर 134 सीटों पर शानदार जीत दर्ज की हैं. दिल्ली के लोग अपने वार्डों के लिए जिन पार्षदों को चुनते हैं, वह कितना कमाते हैं? शहर के प्रबंधन में उनके काम क्या-क्या हैं?


दरअसल, दिल्ली के पार्षदों को महीने में वेतन मिलता है. इनका सैलरी पैकेज लगभग 4.9 लाख रुपये सालाना होता है. इसका मतलब है कि उन्हें मासिक सैलरी के रूप में 41,000 रुपये मिलते हैं. हालांकि, उन्हें कई भत्ते भी मिलते हैं. कथित तौर पर उन्हें अपने संबंधित वार्डों के विकास के लिए 1 करोड़ रुपये का फंड भी मिलता है. इसका उपयोग विकास कार्यों को करने के लिए किया जाना चाहिए, लेकिन कई पार्षद फंड का उपयोग नहीं कर पाते हैं. दरअसल, फंड तभी जारी किया जाता है जब वे परियोजना शुरू करते हैं.


क्या होता है एमसीडी का काम
वहीं पार्षद की एलजिबिटी में डोमिसाइल, एज और एजुकेशन शामिल है. यदि वह एक प्रत्याशी के रूप में खड़ा है तो वह व्यक्ति वार्ड की मतदाता सूची में होना चाहिए. इसी के साथ उस व्यक्ति की आयु 21 वर्ष से अधिक होनी चाहिए. साथ ही वह कम से कम 10वीं कक्षा तक पढ़ा होना चाहिए और दिल्ली में चुनाव लड़ने के योग्य होना चाहिए. दिल्ली एमसीडी पार्षद का मुख्य काम अपने वार्डों की व्यवस्था को बनाए रखना है. वे स्थानीय विकास के साथ सड़कों और नालियों की सफाई और स्थानीय पार्कों और अन्य सार्वजनिक संपत्ति के रखरखाव के लिए जिम्मेदार हैं. वे फंड का इस्तेमाल किसी भी स्थानीय सार्वजनिक कार्य में कर सकते हैं. ये चुनाव हर पांच साल में होते हैं. उनके प्रदर्शन के आधार पर वार्ड के लोग पार्षद चुनते  हैं.


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