Delhi MCD Election 2022: दिल्ली के इस वॉर्ड में BJP, कांग्रेस और AAP ने उतारे मुस्लिम उम्मीदवार, क्या है चुनावी समीकरण?
MCD Election 2022: एमसीडी चुनाव के लिए बीजेपी ने मुस्तफाबाद से शबनम मलिक को मैदान में उतारा है वहीं आम आदमी पार्टी ने यहां से डॉक्टर नसरीन को टिकट दिया है तो कांग्रेस पार्टी का भरोसा सबिला बेगम पर है.
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Delhi MCD Election 2022: दिल्ली दंगा 2022 से सबसे ज्यादा प्रभावित रहने वाला उत्तर पूर्वी क्षेत्र का मुस्तफाबाद विधानसभा अब उस घटना को पीछे छोड़ आगे बढ़ चला है लेकिन दिल्ली नगर निगम चुनाव में निश्चित ही मतदाता अपने वोट का प्रयोग करते समय उस दौर की खौफनाक छवि को एक बार अपने दिमाग में जरूर याद रखेंगे. मुस्तफाबाद विधानसभा में मुस्तफाबाद, दयालपुर, करावल नगर पूर्व, नेहरू विहार और बृजपुरी वार्ड आता है.
कांग्रेस को यहां मिल सकता है फायदा
दिल्ली नगर निगम चुनाव 2022 में भारतीय जनता पार्टी ने मुस्तफाबाद से शबनम मलिक को मैदान में उतारा है वहीं आम आदमी पार्टी ने यहां से डॉक्टर नसरीन को टिकट दिया है तो कांग्रेस पार्टी का भरोसा सबिला बेगम पर है. वैसे मुस्लिम महिला उम्मीदवारों से ही स्पष्ट हो गया है कि इस सीट पर एक विशेष वर्ग के वोट का खास प्रभाव है. 53000 मतदाता वाले इस क्षेत्र में मुस्लिम वोटर उम्मीदवारों की हार जीत में बड़ा रोल अदा करेंगे.
इस नगर निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी, बीजेपी और ओवैसी के प्रचार के बाद माना जा रहा है कि तीनों पार्टियों के बीच रोचक लड़ाई देखने को मिल सकती है. वहीं इन तीनों पार्टियों के वोट प्रतिशत बटने की वजह से कांग्रेस पार्टी को एकतरफा फायदा होने के भी कयास लगाए जा रहे हैं.
दंगा बनी AAP से नाराजगी की वजह
फरवरी 2020 दिल्ली दंगे के बाद क्षेत्र की रिपोर्ट तैयार करने वाले प्रभात रंजन मिश्रा ने एबीपी लाइव से बातचीत के दौरान कहा इस घटना के बाद इन इलाकों में पहला चुनाव होने जा रहा है और निश्चित ही वोटरों पर इसका प्रभाव पड़ेगा. मुस्तफाबाद विधानसभा से आम आदमी पार्टी के विधायक हाजी यूनुस 20000 हजार से अधिक वोटो से जीते हैं जिन पर विपक्षी नेताओं के साथ-साथ लोगों की भी नाराजगी देखी जा रही है. पिछले 15 सालों से यहां से एमसीडी में बीजेपी के उम्मीदवार से भी जनता यहां के बुनियादी सुविधाओं को लेकर कई सवाल पूछ रही है.
दिल्ली दंगा नहीं भूला जाएगा
वहीं इस विधानसभा में दंगा प्रभावित क्षेत्रों से भलीभांति परिचित अर्चना तिवारी ने एबीपी लाइव से कहा- "मुस्लिम मतदाताओं का एकतरफा वोट का प्रभाव देखने को मिल सकता है लेकिन पार्टियों के निर्धारित वोट बैंक का आपस में बटना भी किसी एक पार्टी के लिए मददगार साबित हो सकता है. भले ही क्षेत्र की जनता ने उस दौर को पीछे छोड़ दिया हो लेकिन जब वह अपने वोट का प्रयोग करेंगे तो उस घटना के समय जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारियों को जरूर याद करेंगे.
मुस्तफाबाद की जनता समस्याओं से परेशान
मुस्तफाबाद क्षेत्र में मुस्लिम और दलित बहुसंख्यक हैं जहां पर सबसे ज्यादा जर्जर सड़क ध्वस्त सीवर सिस्टम की समस्या है. लोगों द्वारा स्ट्रीट लाइट साफ पानी जैसी आवश्यक सुविधाओं के लिए भी कई बार जनप्रतिनिधियों के समक्ष गुहार लगाया गया है लेकिन उसकी सुध नहीं ली गई है. वैसे मुस्तफाबाद विधानसभा के 5 वार्डों में बेहद कांटे की लड़ाई देखी जा रही है, अब इस बार देखना होगा कि यहां की जनता किस पार्टी पर भरोसा करती है.
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