Delhi MCD Election 2022: चांदनी चौक के इस वार्ड में तीन उम्मीदवारों की राजनीति विरासत दांव पर, पढ़ें पूरा समीकरण
Delhi MCD Election 2022: दिल्ली का चांदनी चौक वार्ड 74 बीजेपी का गढ़ रहा है. हालांकि, नगर निगम के परिसीमन के बाद यहां के सियासी समीकरण बदल गए हैं. ऐसे में बीजेपी के लिए यहां जीतना आसान नहीं होगा.
Chandni Chowk Ward 74 Equation: दिल्ली नगर निगम चुनाव (Delhi MCD Election) में इस बार कई ऐसी सीटें हैं, जिस पर लोगों की नजर है. इन्हीं में से एक सीट चांदनी चौक वार्ड 74 है. यहां वोटरों की संख्या लगभग 44,153 है. वहीं पूरी आबादी लगभग 51672 है. वोट बैंक की अगर बात की जाए तो चांदनी चौक वार्ड वैश्य (Vaishya) और ब्राह्मण (Brahmin) बहुल वार्ड है. यह क्षेत्र भारतीय जनता पार्टी (BJP) का गढ़ भी माना जाता है. इस बार बीजेपी के लिए चांदनी चौक की राह इतनी आसान नहीं होगी, क्योंकि तीनों प्रमुख पार्टियों ने यहां से ऐसे उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जिन्हें राजनीति जन्म से ही विरासत में मिली है.
ऐसे में इस सीट पर मुकाबला विरासत पर सियासी हक को लेकर होगा. यहां तीनों पार्टी के प्रत्याशियों पर विरासत की राजनीति को जिंदा रखने की जिम्मेदारी भी है. चांदनी चौक वार्ड में वैश्य कम्युनिटी के बाद दूसरी बड़ी आबादी ब्राह्मण वोटरों की हैं. पंजाबी और मुस्लिम वोटर्स की अगर बात की जाए तो दोनों का वोट बैंक बराबर ही होगा, थोड़े बहुत ओबीसी और अनुसूचित जाति के लोग भी वार्ड में रहते हैं. पुराना इतिहास उठाकर देखा जाए तो इस सीट से अधिकतर बीजेपी का ही पार्षद रहा है. इस बार तीनों ऐसे प्रत्याशी चुनावी मैदान में आए हैं, जो कहीं किसी राजनीतिक परिवार या राजनीतिक घरानों से ताल्लुक रखते हैं.
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बीजेपी ने रविंद्र कुमार को दिया है टिकट
यही वजह है कि चांदनी चौक वार्ड पर निगम चुनाव का मुकाबला कड़ा होने वाला है. बीजेपी ने यहां से पूर्व विधायक वासुदेव कप्तान के बेटे रविंद्र कुमार को मैदान में उतारा है. आम आदमी पार्टी ने यहां से 5 बार विधायक रहे प्रहलाद साहनी के बेटे पूरन दीप सिंह साहनी को टिकट दिया है. कांग्रेस से पूर्व मेयर बृजमोहन शर्मा के बेटे राहुल शर्मा चुनावी मैदान में हैं. ऐसे में चांदनी चौक वार्ड पर रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा. चांदनी चौक वार्ड बीजेपी का गढ़ रहा है, लेकिन परिसीमन की वजह से कुछ सियासी समीकरण गड़बड़ा गए हैं.
मुस्लिम वोटरों की भी अहम हो सकती है भूमिका
चांदनी चौक वार्ड में रेलवे लाइन के आस-पास की कुछ गलियां और इसके अलावा जामा मस्जिद का भी कुछ हिस्सा शामिल कर दिया गया है. सियासी समीकरण पर यह फर्क पड़ा है कि जीत-हार में जो एकतरफा फैसला वैश्य कम्युनिटी के हाथ में ही होता था. इस बार ऐसा नहीं है. चांदनी चौक वार्ड में ब्राह्मणों और मुस्लिम वोटरों की भूमिका भी अहम हो सकती है, अब यह तो 7 दिसंबर को ही पता चलेगा कि चांदनी चौक की वार्ड वार में कौन विजयी होगा.