Delhi MCD Mayor Election: डेढ़ माह से ज्यादा समय से जारी घमासान के बाद आज देश की राजधानी दिल्ली को नया मेयर (Mayor) मिल सकता है. हालांकि, आज भी आप और बीजेपी के बीच घमासान से इंकार नहीं किया जा सकता. तय एजेंडे के मुताबिक सबसे पहले निर्वाचित पार्षद शपथ लेंगे. उसके बाद एलजी द्वारा नामित 10 एल्डरमैन काउंसलर शपथ लेंगे. फिर मेयर, डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमेटी के छह सदस्यों का चुनाव होगा. इसी के साथ 10 साल बाद पूरी दिल्ली को आज महिला मेयर मिलेगी.


इससे पहले दिल्ली के मेयर, डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों का चुनाव 6 जनवरी को बीजेपी और आप के बीच हंगामे की वजह से स्थगित कर दिया गया. ऐसा करने के पीछे वजह यह थी कि आम आदमी पार्टी ने परंपरा के विपरीत पीठासीन अधिकारी द्वारा पहले एल्डरमैन काउंसलर को शपथ दिलाने का विरोध किया था, जिसकी वजह से से सदन में मारपीट  की नौबत बन आई थी.  


फिर से पूरी दिल्ली के लिए एक एमसीडी


दरअसल, जनवरी 2012 में दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित सरकार ने दिल्ली नगर निगम ( Delhi MCD Mayor Election) को तीन हिस्सों में बांट दिया था. इसके बाद नॉर्थ दिल्ली (NDMC), साउथ दिल्ली (SDMC) और ईस्ट दिल्ली (EDMC) नगर निगम बन गई थी. प्रत्येक का अपना महापौर होता था. पिछले साल मोदी सरकार ने संसद में संशोधन बिल पास कराकर तीनों एमसीडी को पहले की तरह एक नगर निगम में तब्दील कर दिया गया और दिल्ली नगर निगम (MCD) फिर से अस्तित्व में आ गया. 


बता दें कि एमसीडी के सदन का कार्यकाल पांच साल का होता है, लेकिन मेयर का कार्यकाल सिर्फ एक साल के लिए होता है. हर साल नये मेयर का चुनाव होता है. एमसीडी एक्ट के मुताबिक पहले साल महिला पार्षद को मेयर चुने जाने का प्रावधान है. दूसरे साल मेयर का पद सामान्य होता है. यानी कोई भी पार्षद मेयर चुना जा सकता है. तीसरे साल मेयर पद दलित समुदाय के लिए रिजर्व होता है. ऐसे में दलित समाज से आने वाला कोई भी पार्षद मेयर चुना जा सकता है, लेकिन चौथे और पांचवें साल मेयर का पद अनारक्षित होता है. जहां तक स्टैंडिंग कमेटी की बात है तो वो एमसीडी से सबसे ज्यादा पावरफुल कमेटी है. स्टैंडिंग कमेटी के अध्यक्ष पर आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है. 


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