Municipal Corporation of Delhi: एमसीडी ने दिल्ली की लैंडफिल साइटों पर तैयार अपनी स्थिति रिपोर्ट में कहा है कि वह कूड़े के पहाड़ों को हटाने के लिए वहां पड़े ठोस कचरे की ‘बायोमाइनिंग’ (धातु और अयस्क निकालने की तकनीक) और कचरे से ऊर्जा पैदा करने वाले संयंत्र स्थापित करने जैसे कदम उठा रही है. एमसीडी के अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.


उपराज्यपाल कार्यालय को भेजी जाएगी रिपोर्ट


उन्होंने बताया कि एमसीडी शुक्रवार शाम तक अपनी रिपोर्ट उपराज्यपाल कार्यालय को भेज सकती है. अधिकारियों के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी में स्थित लैंडफिल साइटों पर कूड़े के पहाड़ की ऊंचाई घटाने की जिम्मेदारी करीब 50 अधिकारियों को सौंपी गई है और इसके लिए मासिक समय सीमा भी तय की गई है.


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एलजी ने किया था गाजीपुर लैंडफिल साइट का दौरा


दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने रविवार को गाजीपुर लैंडफिल साइट का दौरा किया था और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के अधिकारियों से वहां मौजूद कूड़े के पहाड़ी की ऊंचाई कम करने के संबंध में स्थिति रिपोर्ट देने को कहा था.


निर्देशों का होगा पालन


एमसीडी के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘इन लैंडफिल साइटों पर कूड़े के पहाड़ की ऊंचाई को कम करने और उन्हें बंद करने के संबंध में हमारी योजना की स्थिति रिपोर्ट हमने आयुक्त को भेज दी है. आयुक्त की मंजूरी के बाद उसे आज (शुक्रवार) शाम तक उपराज्यपाल कार्यालय भेज दिया जाएगा. उपराज्यपाल से जो भी निर्देश मिलेंगे हम उसका पालन करेंगे.’’ राष्ट्रीय राजधानी में तीन लैंडफिल साइटें (गाजीपुर, भलस्वा और ओखला) और तीनों में कूड़े के ऊंचे पहाड़ खड़े हो गए हैं.


कितना फेंका जाता है कचरा? 


निगम के अधिकारियों के अनुसार शहर में औसतन 11,400 मीट्रिक टन कचरा निकलता है जिसमें से करीब 6,200 मीट्रिक टन कचरा इन तीनों लैंडफिल साइटों पर फेंका जाता है. बाकी बचा हुआ 5,200 मीट्रिक टन कचरा खाद बनाने वाले और कचरे से ऊर्जा पैदा करने वाले संयंत्रों की मदद से शोधित किया जाता है.


अधिकारियों के मुताबिक स्थिति रिपोर्ट में कहा गया है कि एमसीडी ने कनिष्ठ अभियंता, सहायक अभियंता और कार्यकारी अभियंताओं सहित 45 से 50 अधिकारियों को इन तीनों लैंडफिल साइट पर मौजूद पड़े ठोस कचरे के शोधन की जिम्मेदारी सौंपी है.


समय सीमा हुई तय


अधिकारियों ने बताया कि गाजीपुर लैंडफिल साइट की ऊंचाई कम करने के लिए दिसंबर 2024 तक की समय सीमा तय की गई है, जबकि भलस्वा लैंडफिल साइट को जून 2023 और ओखला लैंडफिल साइट को दिसंबर 2023 तक खाली करने का प्रयास किया जाएगा.


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