Delhi Metro के परिचालन को पूरे हुए 19 साल, रेड लाइन पर शुरू हुआ पहली स्वदेशी i- ATS टेक्नोलॉजी का फील्ड ट्रायल
20वें साल की शुरुआत के मौके पर डीएमआरसी ने मेट्रो की पहली रेड लाइन (शहीद स्थल-रिठाला) पर पहली स्वदेशी आई-एटीएस (ऑटोमेटिक ट्रेन सुपरविजन) टेक्नोलॉजी का ट्रायल शुरू कर दिया.
Delhi Metro: दिल्ली मेट्रो के परिचालन को 19 साल पूरे हो गए हैं. तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 24 दिसंबर 2002 को मेट्रो के पहले कॉरिडोर का उद्घाटन किया था. 20वें साल की शुरुआत के मौके पर डीएमआरसी ने मेट्रो की पहली रेड लाइन (शहीद स्थल-रिठाला) पर पहली स्वदेशी आई-एटीएस (ऑटोमेटिक ट्रेन सुपरविजन) टेक्नोलॉजी का ट्रायल शुरू कर दिया. इसका उद्घाटन डीएमआरसी के अध्यक्ष और भारत सरकार के आवास और शहरी कार्य मंत्रालय के सचिव दुर्गाशंकर मिश्र ने किया.
प्रदर्शनी का भी उद्घाटन
इस मौके पर कश्मीरी गेट मेट्रो स्टेशन पर दिल्ली मेट्रो की गौरवशाली यात्रा का चित्रण करती एक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया गया है. जहां पर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने पहले मेट्रो कॉरिडोर का उद्घाटन किया था. यहां एक स्थायी सेल्फी पॉइंट बनाया गया है. जहां पर यात्री अपनी यात्रा के दौरान मेट्रो और राजधानी के इतिहास के साथ सेल्फी ले सकते हैं.
प्रदर्शनी रि-डेवलप की गई
दिल्ली मेट्रो ने कश्मीरी गेट मेट्रो स्टेशन पर इसे एक पूर्ण प्रदर्शनी के रूप में रि-डेवलप किया गया है, जो यात्रियों को पुरानी तस्वीरों के माध्यम से भारत के जन परिवहन के क्षेत्र में लाई गई एक क्रांति की याद दिलाएगी. दिल्ली मेट्रो में यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए यह प्रदर्शनी पूरी तरीके से निशुल्क है उन्हें इसके लिए कोई भी अतिरिक्त चार्ज नहीं देना होगा.
इस समारोह पर डॉ. मंगू सिंह, प्रबंध निदेशक, डीएमआरसी, आनंदी रामलिंगम, मुख्य प्रबंध निदेशक, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे. वही डीएमआरसी द्वारा शुरू की गई इस आई-एटीएस टेक्नोलॉजी का विकास डीएमआरसी और बीईएल द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है, और इसे रेड लाइन पर किया जा रहा है. इस उपलब्धि के साथ, भारत विश्व के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा, जिनका अपना एटीएस उत्पाद है. जिसे अन्य मेट्रो के साथ ही साथ रेल प्रणालियों पर भी उपयोग किया जा सकता है.
एटीएस एक कंप्यूटर आधारित सिस्टम है, जो ट्रेन परिचालन को नियंत्रित करता है. यह सिस्टम मेट्रो जैसे उच्च सघनता वाले ऑपरेशंस के लिए अनिवार्य है जहां प्रत्येक कुछ मिनट में सेवाएं निर्धारित हैं. आई-एटीएस स्वदेशी टेक्नोलॉजी है जो भारतीय मेट्रो की ऐसी टेक्नोलॉजी डील करने वाले विदेशी वेंडरों पर निर्भरता को महत्वपूर्ण रूप से कम करेगी. बात दें आई-एटीएस सिस्टम का आगामी फेज-4 कॉरिडोर्स में भी इस्तेमाल किया जाएगा. फेज-4 के कॉरिडोर्स आई-एटीएस सिस्टम का उपयोग करते हुए भावी (प्रेडिक्टिव) मेंटनेंस मॉड्यूल की भी शुरूआत की जाएगी.
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