DMRC News: दिल्ली में बिजली आपूर्ति में बाधा की आशंकाओं के बीच डीएमआरसी ने मंगलवार को कहा कि मेट्रो की परिचालन जरूरत शहर की कुल बिजली आ‍वश्यकता का महज 2.5 फीसदी है. साथ ही कहा कि अगर पूरी तरह से ‘ब्लैकआउट’ हो जाता है तो भी यात्रियों को ‘बैकअप’ व्यवस्था के जरिये ट्रेन और स्टेशन से निकाला जा सकता है.


दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) के प्रवक्ता ने मंगलवार को दिल्ली मेट्रो के 28वें स्थापना दिवस के मौके से इतर बातचीत में यह भी कहा कि दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में ‘मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम’ के संचालन के लिए प्रति दिन लगभग 30 लाख यूनिट बिजली की जरूरत होती है. प्रवक्ता ने कहा, ‘‘तीन मिलियन यूनिट बिजली का इस्तेमाल कर्षण (खींचना) और सहायक आवश्यकताओं जैसे लाइट और एयर कंडीशनिंग, लिफ्ट और एस्केलेटर साथ ही अग्निशमन सुविधाओं आदि के लिए किया जाता है.’’


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डीएमआरसी के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘डीएमआरसी को दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा की बिजली वितरण कंपनियों से लगभग दो मिलियन यूनिट बिजली प्राप्त होती है. लगभग 0.9 मिलियन यूनिट बिजली ओपन एक्सेस के माध्यम से ऑन-साइट सौर ऊर्जा संयंत्र से प्राप्त होती है. इसके अलावा, 0.1 मिलियन यूनिट बिजली दिल्ली मेट्रो के स्टेशन और डिपो में स्थापित रूफटॉप सौर ऊर्जा संयंत्रों से मिलती है.’’


प्रवक्ता ने कहा, 'इसके अलावा, अगर पूरी तरह से गड़बडी हो जाती है और सभी ग्रिड विफल हो जाते हैं, तो हमारे पास प्रणाली को बिजली प्रदान करने, ट्रेन और स्टेशनों से यात्रियों को निकालने के लिए बैटरी, इनवर्टर, डीजी सेट जैसी बैकअप व्यवस्था है लेकिन उस स्थिति में ट्रेन नहीं चल पाएंगी.’’ बढ़ते कोयला संकट के बीच दिल्ली सरकार ने गुरुवार को चेताया था कि मेट्रो और अस्पतालों समेत राष्ट्रीय राजधानी के महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों को निर्बाध बिजली आपूर्ति करने में दिक्कत आ सकती है.


उधर, डीएमआरसी के प्रबंध निदेशक विकास कुमार ने एक सवाल के जवाब में कहा, 'दिल्ली मेट्रो की बिजली की आवश्यकता शहर की कुल बिजली आवश्यकता का केवल 2.5 फीसदी है.' उन्होंने यह भी बताया कि द्वारका सेक्टर-21 और इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (आईआईसीसी) के बीच दो किलोमीटर लंबी दिल्ली मेट्रो लाइन के जुलाई तक शुरू होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी से संचालन बाधित होने के बावजूद दिल्ली मेट्रो सेवा रफ्तार पकड़ रही है और वर्तमान में रोजाना औसतन 40 से 45 लाख यात्री सफर कर रहे हैं जो पूर्व-कोविड काल का 78 फीसदी है.


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