DMRC News: दिल्ली मेट्रो (Delhi Metro) के रेड लाइन कॉरिडोर पर स्वदेशी ऑटोमैटिक ट्रेन सुपरविजन (IATS) सिग्नल प्रणाली का ट्रायल पूरा हो गया हैं. जिसके बाद अब अक्टूबर से रेड लाइन पर रिठाला से गाजियाबाद (Rithala To Ghaziabad) के बीच इस तकनीक से मेट्रो (Delhi Metro) रफ्तार भरने लगेगी. इस तकनीक को दिल्ली मेट्रो रेल निगम और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) ने मिलकर तैयार किया है. ट्रायल पूरा होने के बाद डीएमआरसी (DMRC) अब इसके आगे की तैयारी में लग गई है.
स्वदेशी तकनीक से दौड़ेगी मेट्रो
सीबीटीसी सिग्नल सिस्टम से मेट्रो का परिचालन पूरी तरह स्वचालित हो जाता है. यानी फिर इसके लिए चालक की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. इस तकनीक में सिग्नल को एक कंप्यूटर के सॉफ्टवेयर से जोड़ा जाता है. जिसके बाद ये ऑटोमैटिक हो जाता है. जैसे ही मेट्रो, स्टेशन पर पहुंचती है इसके गेट अपने आप ही खुल और बंद हो जाते हैं. ऐसे में अगर सिग्नल में कोई तकनीकी खामी आ जाए या कोई परेशानी हो तो मेट्रो की स्पीड भी अपने आप ही कम हो जाती है. डीएमआरसी के प्रबंध निदेशक विकास कुमार ने बताया कि अगले पांच सालों में स्वदेशी सिग्नल प्रणाली से चालक रहित मेट्रो भी रफ्तार भरने लगेगी. इससे विदेशी कंपनियों पर हमारी निर्भरता खत्म हो जाएगी.
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बिना चालक के मेट्रो भरेगी रफ्तार
दरअसल मेट्रो परिचालन के लिए मौजूदा समय में यूरोप और जापान द्वारा विकसित सिग्नल प्रणाली का इस्तेमाल किया जा रहा है. स्वदेशी एटीएस को सीबीटीसी सिग्नल प्रणाली के लिए इसलिए जरूरी माना जाता है क्योंकि ये सीबीटीसी का एक अहम हिस्सा है. फिलहाल दिल्ली मेट्रो के दो कॉरिडोर पर इसकी मदद से बिना चालक के ही मेट्रो का परिचालन किया जा रहा है. आपको बता दे के 24 दिसंबर 2021 को इसका पहला ट्रायल रेड लाइन मेट्रो पर किया गया था और 24 मार्च को इसका अंतिम ट्रायल किया गया. रेड लाइन पर इसका इस्तेमाल किए जाने के बाद बाकी सभी कॉरीडोर पर भी इसी तकनीक के जरिए मेट्रो का परिचालन किया जाएगा.
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