(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
बेरोजगारी के मुद्दे पर आतिशी का BJP पर हमला, 'चपरासी की नौकरी के लिए लाखों युवा देते हैं आवेदन'
Delh Politics: दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि इस सरकार ने युवाओं की नौकरी और किसी अन्य प्रकार के रोजगार का कोई प्रावधान नहीं किया है.
Delhi News: दिल्ली की मंत्री आतिशी (Atishi) ने गुरुवार को केंद्र की बीजेपी सरकार को बेरोजगारी के आंकड़ों को लेकर घेरा और कहा कि हमारे देश में छोटी-मोटी नौकरी के लिए लाखों पढ़े-लिखे युवा एप्लीकेशन डालते हैं. इसके साथ ही अपनी सरकार की तारीफ करते हुए आतिशी ने कहा कि दिल्ली के स्कूलों में ऐसी शिक्षा दी जा रही है जिससे वे रोजगार का सृजन करें.
आतिशी ने कहा, ''भारत में युवाओं की बेरोजगारी 42 प्रतिशत पर पहुंच गई है. बेरोजगारी के आंकड़ों में भारत दुनिया के टॉप तीन देशों में आता है. 2022 में मेकेंजी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को अपने पढ़े-लिखे युवाओं को नौकरी देनी है तो 2030 तक 90 मिलियन नॉन-एग्रीकल्चरल जॉब्स की जरूरत है.''
उन्होंने आगे कहा, ''लेकिन एक तरफ बेरोजगारी बढ़ रही है. दूसरी तरफ बीजेपी की केंद्र सरकार की तरफ से युवाओं के लिए कोई भी रोजगार और नौकरी प्रावधान नहीं हुआ. रोज रोज अखबारों में खबर आती है जब कोई भी सरकार छोटी मोटी क्लर्क और चपरासी की नौकरी निकलती है तो लाखों पढ़े लिखे युवा उसके काम के लिए आवेदन देते हैं.''
VIDEO | “Unemployment is continuously increasing, however, no provision is being made by the BJP-led central government. The youth is only standing in long queues to get a job. AAP government is trying to make every student and youth capable enough to not look for jobs but to… pic.twitter.com/aq196TJqrj
— Press Trust of India (@PTI_News) September 12, 2024
आतिशी ने केंद्र के शिक्षा व्यवस्था पर उठाए सवाल
आतिशी ने कहा कि ''जो पूरा हमारा शिक्षा तंत्र है वह हमको केवल नौकरी की लंबी लंबी लाइनों में खड़ा होने के लिए तैयार कर रहा है. दूसरी ओऱ दिल्ली सरकार का प्रयास है कि दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था जो बच्चे निकलकर आएं वे नौकरी ढूंढने वाले नहीं बल्कि देने वाले बनें. इसलिए तीन सालों से दिल्ली के स्कूलों में कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं जिसके तहत 11वीं और 12वीं के बच्चों को सीड मनी के पैसे दिए जाते हैं, छात्र खुद ग्रुप्स में मिलकर स्टार्टअप शुरू करते हैं जो टॉप के सौ या पचास स्टार्टअप होते हैं हम उनको पब्लिक इन्वेस्टमेंट के लिए ओपन करते हैं.''
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