Delhi News: दिल्ली सरकार जहां एक तरफ स्कूलों में बच्चों को बेहतर शिक्षा व्यवस्था देने की आवश्यकता पर जोर देकर सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने में लगी है, तो दूसरी तरफ चाईल्ड केयर सेंटरों को भी अपग्रेड करने की कोशिश में जारी है, जिससे वहां आने वाले बच्चों की बेहतर देखभाल हो सके और उन्हें कौशलयुक्त बनाया जा सके।
इस समस्या को लेकर महिला और बाल विकास मंत्री आतिशी ने विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। इस मौके पर महिला और बाल विकास मंत्री ने कहा कि चाइल्ड केयर सेंटर में वैसे बच्चे आते हैं, जो बहुत ही भयावह अतीत से गुजर चुके होते हैं। ऐसे बच्चों को उनके दुखदायी अतीत से पीछा छुड़ाकर मुख्यधारा में शामिल करने के लिए बहुत जरूरी है कि उन्हें विशेष देखभाल मिले।
तनाव को दूर कर सिखाया जाएगा खुश रहना
उन्होंने कहा कि इस दिशा में काम करते हुए दिल्ली सरकार अपने चाइल्ड केयर सेंटरों को अपग्रेड करने जा रही है। इसके अंतर्गत उम्र और जरूरत के अनुसार बच्चों को स्किल व आर्ट आधारित शिक्षा दी जाएंगी, जहां म्यूजिक आर्ट, डांस आदि के माध्यम से न केवल बच्चों की पढ़ाई होगी, बल्कि इसके जरिये उनके तनाव को दूर कर उन्हें खुश रहना सिखाया जाएगा। आर्ट आधारित गतिविधियों से बच्चों की रचनात्मकता भी बढ़ेगी और वे खुद को आर्ट के जरिये अभिव्यक्त कर सकेंगे।
शिक्षा के जरिए बच्चों को जोड़ा जाएगा मुख्यधारा में
मंत्री आतिशी ने कहा कि इसके साथ ही इन संस्थानों के कर्मचारियों को भी विशेषज्ञों द्वारा ट्रेनिंग दी जाएगी, जिससे वे बच्चों की जरूरतें बेहतर ढंग से समझकर उनकी बेहतरी के लिए काम कर सकें। उन्होंने कहा कि दिल्ली में हर बच्चे को बेहतर बनाना की रणनीति पर सरकार प्रतिबद्धता से काम कर रही है। इस दिशा में अब सरकार के चाइल्ड केयर सेंटरों में भी मिशन बुनियाद की शुरुआत होगी, जिससे सीखने की उनकी बुनियादी क्षमताओं को मजबूत करते हुए शिक्षा के माध्यम से उन्हें मुख्यधारा में जोड़ा जा सके।
25 चाईल्ड केयर सेंटर चला रही है दिल्ली सरकार
बता दें कि वर्तमान में दिल्ली सरकार 25 चाइल्ड केयर सेंटर चला रही है। इनमें 6 से 18 वर्ष के बच्चों के लिए 16 चिल्ड्रन होम, छह वर्ष तक के बच्चों के लिए एसएए, तीन आब्जर्वेशन व एक स्पेशल होम, दो प्लेस आफ सेफ्टी व दो आफ्टर केयर होम शामिल हैं। चाईल्ड केयर सेंटर में बच्चों को रहना-खाना व दवाएं जैसी मूलभूत सुविधाओं के साथ ड्रग डी-एडिक्शन की सुविधा, जरूरत के अनुसार औपचारिक व अनौपचारिक शिक्षा, मनोरंजक गतिविधियां, मानसिक स्वास्थ्य सुविधा, वोकेशनल ट्रेनिंग और कानूनी सलाह आदि उपलब्ध हैं।