Delhi News: वायु प्रदूषण कम करने के लिए दिल्ली सरकार ने विंटर एक्शन प्लान पर काम शुरू कर दिया है. दिल्ली सरकार विंटर एक्शन प्लान के तहत सात अक्टूबर से सात नवंबर तक एंटी डस्ट कैंपेन चलाएगी. कैंपेन के तहत पूरी दिल्ली में निगरानी के लिए 13 विभागों की 523 टीमें तैनात की गई हैं. सीएंडडी पोर्टल पर 500 वर्ग मीटर से अधिक वाले सभी निर्माण साइट्स को पंजीकरण करना अनिवार्य कर दिया गया है.


सभी विभागों को सीएंडडी साइट्स का निरीक्षण करने और कंस्ट्रक्शन साइटों पर निर्माण संबंधी जारी 14 दिशा-निर्देशों के उल्लंघन पर कार्रवाई की जाएगी. धूल प्रदूषण को रोकने के लिए 85 मैकेनिकल रोड स्वीपिंग (एमआरएस) मशीनें और 500 वॉटर स्प्रिंकलर तैनात की जा रही हैं. दिल्ली सरकार पर्यावरण नियमों का पालन करते हुए उत्कृष्ट कार्य करने वाली निर्माण एजेंसी/विभाग को हरित रत्न अवार्ड से सम्मानित करेगी. पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि 25 सितंबर को 21 सूत्री प्वाइंट पर आधारित विंटर एक्शन प्लान का ऐलान किया गया था.


वायु प्रदूषण की स्थिति को बेहतर के लिए दिल्ली सरकार 7 अक्टूबर से एंटी डस्ट कैंपेन शुरू कर रही है. उन्होंने बताया कि कंस्ट्रक्शन साइट्स से पैदा होने वाला धूल प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक साबित होता है. इसी दिशा में कार्य करने के लिए कंस्ट्रक्शन एंड डेमोलिशन पोर्टल को लांच किया गया था. इस पोर्टल पर 500 वर्ग मीटर से अधिक सभी साइट्स का खुद रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य है. मंत्री गोपाल राय ने कहा कि नवंबर में एक शिफ्ट से बढ़ाकर तीन शिफ्टों में मोबाइल एंटी स्मॉग गन की सड़कों पर तैनाती होगी. इसके लिए 200 मोबाइल एंटी स्मॉग गन लगाए जाएंगे. 
 
कंस्ट्रक्शन साइटों पर निर्माण के लिए तय किए गए नियम-


1. निर्माण स्थल के चारों तरफ ऊंची टीन की दीवार खड़ी करना जरूरी है.
2. धूल प्रदूषण को लेकर पहले केवल 20 हजार वर्ग मीटर से ऊपर के निर्माण साइट पर ही एंटी स्मोग गन लगाने का नियम था. अब नए नियम के आधार पर 5 हजार वर्ग मीटर से लेकर उससे अधिक के एरिया के निर्माण साइट पर एंटी स्मोग गन लगाना अनिवार्य कर दिया गया है. 
3. 5 हजार से 10 हजार वर्ग मीटर की निर्माण साइट पर 1 एंटी स्मॉग गन, 10 हजार से 15 हजार वर्ग मीटर साइट पर 2, 15 हजार से 20 हजार वर्ग मीटर की निर्माण साइट पर 3 और 20 हजार वर्ग मीटर से ऊपर की निर्माण साइट पर कम से कम 4 एंटी स्मॉग गन होने चाहिए. 
4.  निर्माण और ध्वस्तीकरण कार्य के लिए निर्माणाधीन क्षेत्र और भवन को त्रिपाल या नेट से ढकना जरूरी है. 
5.  निर्माण स्थल पर निर्माण सामग्री को लाने-ले जाने वाले वाहनों की सफाई एवं पहिए साफ करना जरूरी है. 
6. निर्माण सामग्री ले जा रहे वाहनों को पूरी तरह से ढकना जरूरी है.
7. निर्माण सामग्री और ध्वस्तीकरण का मलबा चिन्हित जगह पर ही डालना जरूरी है. सड़क के किनारे भंडारण पर प्रतिबंध है. 
8. किसी भी प्रकार की निर्माण सामग्री, अपशिष्ट, मिट्टी-बालू को बिना ढके नहीं रखना है.
9. निर्माण कार्य में पत्थर की कटिंग का काम खुले में नहीं होनी चाहिए. साथ ही साथ ही वेट जेट का उपयोग पत्थर काटने में किया जाना चाहिए. 
10. निर्माण स्थल पर धूल से बचाव के लिए कच्ची सतह और मिट्टी वाले क्षेत्र में लगातार पानी का छिड़काव करना चाहिए. 
11.  बीस हजार वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र के निर्माण और ध्वस्तीकरण साइट्स जाने वाली सड़क पक्की और ब्लैक टोप्पड होनी चाहिए. 
12. निर्माण और ध्वस्तीकरण से उत्पन्न अपशिष्ट का साइट पर ही रिसायकल किया जाना चाहिए या उसका चिन्हित साइट पर निस्तारण किया जाए. 
13. निर्माण स्थल पर लोडिंग-अनलोडिंग एवं निर्माण सामग्री या मलबे की ढुलाई करने वाले कर्मचारी को डस्ट मास्क देना पड़ेगा. 
14. निर्माण स्थल पर कार्य करने वाले सभी वर्कर के लिए चिकित्सा की व्यवस्था करनी होगी. 
15. निर्माण स्थल पर धूल कम करने के उपाय के दिशा-निर्देशों का साइन बोर्ड प्रमुखता से लगाना  पड़ेगा. 


नियमों के उल्लंघन पर लगेगा जुर्माना-


1. सीएंडडी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन नहीं करने पर 20,000 वर्ग मीटर से कम क्षेत्र वाले निर्माण प्रोजेक्ट पर 1 लाख का और 20,000 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र वाले निर्माण प्रोजेक्ट पर 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा. 
2. एंटी स्मॉग गन नहीं लगाने पर 7,500 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना लगाया जाएगा. 
3. निर्माण साइट्स पर धूल शमन उपाय नहीं करने पर 500 वर्ग मीटर से कम क्षेत्र वाले निर्माण प्रोजेक्ट पर 7,500 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से और उससे अधिक क्षेत्र वाले निर्माण प्रोजेक्ट पर 15000 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना लगाया जाएगा. 
4. निर्माण सामग्री ले जा रहे वाहनों को ढंकना जरूरी है, उल्लंघन होने पर 7,500 रुपये जुर्माना लगाया जाएगा. 


पराली जलाने की घटनाओं को रोकने में नासा की सैटेलाइट इमेज कितनी कारगर—


पराली जलाने की घटनाएं इस साल समय से पहले ही नज़र आ रही हैं. जिसके कारण अभी से दिल्ली और आस पास की वायु गुणवत्ता ख़राब होने लगी है. पराली जलाने की घटनाओं की जानकारी NASA सेटेलाइट इमेज के ज़रिए भी लगातार सामने आ रही है. इन इमेज से जानकारी मिल रही है कि पंजाब और हरियाणा के कई इलाकों में किसानों ने पराली जलाने शुरू कर दी है. जिसका धुआं धीरे धीरे दिल्ली NCR की तरफ बढ़ रहा है. दरअसल नासा की तरफ से जारी की जाने वाली सैटेलाइट इमेज के ज़रिए हर साल जानकारी दी जाती है कि आख़िर पराली कहां पर और कितनी मात्रा में जलायी जा रही है. इसका फ़ायदा ये होता है कि अधिकारियों को सटीक सूचना मिल जाती है कि आख़िर किस जगह पर पराली जलाने की घटनाएं हो रही हैं.


चोरी छिपे भी पराली जलाने की कोशिश करने पर सैटलाइट इमेज के ज़रिए पकड में आ जाता है. सैटेलाइट इमेज के ज़रिए अधिकारी  किसानों तक पहुंचकर चालान की कार्यवाही भी करते हैं. नासा की सैटेलाइट इमेज पराली जलाने की घटनाओं को कम करने में कितनी कारगर साबित हो रही है? पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने जवाब दिया कि नासा की इमेज से सहयोग तो ज़रूर मिलता है लेकिन पता घटना होने के बाद ही चलता है. उन्होंने कहा कि प्रशासन की सक्रियता से पराली जलाने की घटनाओं को कम किया जा सकता है. 


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