Delhi News Today: दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने उपराज्यपाल पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि जब दिल्ली में कोई बड़ा संकट आता है और हम सबूत के आधार पर आरोप लगाते हैं, तो उपराज्यपाल कार्यालय से बेबुनियाद और ऊलजलूल जवाब मिलता है. 


मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि कुछ दिनों पहले मैंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से ये बताया था कि दिल्ली के के आशा किरण होम शेल्टर में 13 लोगों की मौत हो गई. उन्होंने कहा कि जांच के बाद पता चला कि आशा किरण होम शेल्टर में डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की भारी कमी थी.


स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने संबंधित शेल्टर होम में डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ होना चाहिए था, इसकी वजह यह है कि वहां पर मानसिक और शारीरिक पीड़ित हैं. उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद जब कहा गया कि ट्रांसफर- पोस्टिंग का अधिकार सीधे तौर पर उपराज्यपाल के पास है, ऐसे में इन्हीं की गलती से ये मौत हुई.


'उपराज्यपाल कार्यालय से परोसा जाता है झूठ'
सौरभ भारद्वाज ने कहा, "मेरे आरोप तुरंत बाद उपराज्यपाल के कार्यालय से जवाब जारी किया गया, जिसमें कहा गया कि  NCCSA की बैठक न हो पाने की वजह से आशा किरण होम शेल्टर में मेडिकल स्टाफ और डॉक्टर की तैनाती नहीं सके." उन्होंने कहा कि बाद में कोर्ट की फटकार के बाद यहां पर डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती बिना NCCSA के बैठक के कर दी गई है.


मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा, "उपराज्यपाल कार्यालय से झूठ परोसा जाता है, वही काम उन्होंने यहां भी किया है. भारद्वाज ने दावा किया कि दिल्ली के अस्पतालों में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की भारी कमी है." 


उन्होंने कहा कि "एक अस्पताल को चलाने के लिए एक डायरेक्टर या मेडिकल सुपरिंटेंडेंट होना चाहिए, लेकिन वर्तमान में एक ही व्यक्ति को कई अस्पतालों की जिम्मेदारी दी गई है, जिससे वह अपनी जिम्मेदारियों का सही तरीके से नहीं निभा पा रहे हैं." 


'उपराज्यपाल को लिखे आधा दर्जन बार पत्र'
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि "इस मामले में उपराज्यपाल कार्यलय से ऊलजुलूल जवाब मिलता है, हर बार उन्हें यह जवाब मिला कि NCCSA की बैठक न होने के कारण डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती नहीं हो पा रही है."


मंत्री भारद्वाज ने कहा, "स्वास्थ्य मंत्री का पदभार संभालने के बाद अब तक उपराज्यपाल को आधी दर्जन बार पत्र लिख यह अवगत करा चुका हूं कि दिल्ली के अस्पतालों में लगभग 30 फीसदी डॉक्टर और स्पेशलिस्ट के पद खाली हैं और सैकड़ों पैरामेडिकल स्टाफ के पद भी भरे जाने की जरूरत है."


भारद्वाज ने कहा, "जवाब में उपराज्यपाल कार्यालय ने कहा कि उनके पास लगभग 25-26 स्पेशलिस्ट की लिस्ट है, लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति और NCCSA की बैठक न होने के कारण तैनाती नहीं की जा सकी." मंत्री भारद्वाज ने इस जवाब को अटपटा बताते हुए उपराज्यपाल पर दिल्ली की जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया.


'उपराज्यपाल ने नहीं की दोषी पर कार्रवाई'
दिल्ली के अंबेडकर मेडिकल कॉलेज की घटना का जिक्र करते हुए सौरभ भारद्वाज ने कहा, "उस मेडिकल कॉलेज में दो छात्राओं के साथ एक प्रोफेसर ने शारीरिक शोषण करने की कोशिश की. शिकायत करने के बाद उपराज्यपाल कार्यालय ने कोई कार्यवाई नहीं की और ना ही उस दोषी प्रोफेसर को हटाया गया."  उन्होंने कहा, "घटना के बाद अंबेडकर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई."


स्वास्थ्य मंत्री भारद्वाज ने दावा किया कि "जब यह खबर मीडिया में आई और दबाव बना तो मजबूरन उपराज्यपाल को दोषी प्रोफेसर को सस्पेंड करना पड़ा." उन्होंने कहा कि "बंगाल की घटना पर बीजेपी खूब शोर मचाती है, लेकिन जब इस तरह की घटना दिल्ली में हुई तो बीजेपी शासित केंद्र सरकार के जरिये नियुक्त उपराज्यपाल ने दोषी प्रोफेसर और प्रिंसिपल पर कोई कार्रवाई नहीं की. इसके उलट कॉलेज प्रशासन ने दोनों लड़कियों को फंसाने की साजिश की."


सौरभ भारद्वाज ने लगाए ये आरोप
इस मौके पर सौरभ भारद्वाज ने पीडब्ल्यूडी विभाग का एक आदेश की प्रति मीडिया से साझा करते हुए कहा, "जब दिल्ली सरकार अस्पतालों में डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ के नियुक्ति की बात करती है तो उपराज्यपाल कार्यालय से बहाना बनाया जाता है. " 


उन्होंने कहा, "उपराज्यपाल कार्यालय से कहा जाता है कि मुख्यमंत्री मौजूद नहीं है और NCCSA की बैठक नहीं हो पा रही है, इसलिए डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की नियुक्ति नहीं की जा सकती." 


आरोप लगाते हुए मंत्री भारद्वाज ने कहा कि "इसके उलट एक आर्डर तहत पीडब्ल्यूडी विभाग ने ग्रुप ए के 7 अधिकारियों की नियुक्ति की." उन्होंने कहा, "पीडब्ल्यूडी विभाग में एक नए ग्रुप ए अधिकारी की नियुक्ति की गई है और दो अधिकारियों के ट्रांसफर किए गए हैं."


मंत्री सौरभ भारद्वाज ने उपराज्यपाल कार्यालय पर आरोप लगाते हुए कहा, "ट्रांसफर, पोस्टिंग और नियुक्ति तो की जा रही है, लेकिन जहां उनका मन होता है." उन्होंने कहा, "जहां दिल्ली सरकार को जरूरत है, वहां पर NCCSA की बैठक और मुख्यमंत्री के उपस्थित न होने का बहाना बना दिया जाता है."


उपराज्यपाल से पूछे कड़े सवाल
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने मीडिया के माध्यम से दिल्ली के उपराज्यपाल से कुछ सवाल पूछे:
1) अगर ट्रांसफर और पोस्टिंग हो सकती है और हो रही है, तो उपराज्यपाल कार्यालय ने दिल्ली की जनता को गुमराह क्यों किया?
2) क्या उपराज्यपाल दिल्ली की जनता से माफी मांगेंगे कि उन्होंने उन्हें गुमराह किया?
3) अगर उपराज्यपाल NCCSA की बैठक का सही हवाला दे रहे थे, तो क्या वे पीडब्ल्यूडी में हुए ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए अपने पसंदीदा अधिकारी, पीडब्ल्यूडी प्रिंसिपल सेक्रेटरी अंबरासू को निलंबित करेंगे?


मंत्री सौरभ भारद्वाज ने उपराज्यपाल विनय सक्सेना से मांग की है कि अगर वे सच्चे हैं, तो पीडब्ल्यूडी प्रिंसिपल सेक्रेटरी अंबरासू को तुरंत निलंबित करें. जिन्होंने नए अधिकारियों की नियुक्ति और पुराने अधिकारियों के ट्रांसफर किए हैं. उन्होंने कहा कि "उन्हें पूरा विश्वास है कि उपराज्यपाल ऐसा नहीं करेंगे, क्योंकि उपराज्यपाल कार्यालय केवल झूठ परोसता है. जहां उपराज्यपाल का अपना हित होता है, वहां नियुक्तियां और ट्रांसफर किए जाते हैं, लेकिन जहां दिल्ली के नागरिकों के अधिकारों की बात आती है, वहां NCCSA की बैठक न होने का बहाना बनाया जाता है."


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