Delhi News: पिछले कुछ समय में अध्यादेश को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) और बीजेपी (BJP) के बीच जारी तनातनी के बाद अब डीईआरसी चेयरमैन (DERC Chairman Appointment) को नियुक्त करने के मसले पर भी दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच सियासी घमासान शुरू हो गया है. दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज (Saurabh Bhardwaj) का इस मसले पर कहना है कि यह दिलचस्प है कि केंद्र सरकार दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग पर अपना अधिकार क्यों चाहती है?


आप सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज का कहना है कि दिल्ली में बिजली आपूर्ति करना दिल्ली सरकार का काम है. बिजली की दरें तय करना दिल्ली सरकार का काम है. इसके बावजूद केंद्र क्या चाहता है? दिल्ली विद्युत नियामक आयोग में दखल देकर वो क्या करेंगे? क्या वह दिल्ली में बिजली की दरें महंगा करना चाहते हैं? क्या वह सब्सिडी बंद करना चाहते हैं? एलजी को अचानक क्यों लगा कि डीईआरसी चेयरमैन की नियुक्ति केंद्र के मुताबिक की जानी चाहिए? 



सिस्टम को चुनौती देने जैसा


सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि डीईआरसी चेयनमैन की नियुक्ति चुनी हुई दिल्ली सरकार  करेगी. फिर भी, एलजी विनय कुमार सक्सेना ने एक नया अध्यक्ष नियुक्त करने की कोशिश की है. मेरा मानना ​​है कि जिस तरह से एलजी बार-बार सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना ​​करने का प्रयास करते हैं, वह सिस्टम को चुनौती देने जैसा है. 


एलजी दे रहे हैं पूरे सिस्टम को धोखा


सौरभ भारद्वाज का कहना है कि इस मामले में दिलचस्प बात यह है कि एलजी साहब ने धोखा देकर डीईआरसी चेयनमैन नियुक्त करने की कोशिश की है. उन्होंने पूर्व न्यायाधीश उमेश कुमार को चेयरमैन नियुक्त किया है. यह कानूनन गलत है. बता दें कि 21 जून को एलजी विनय सक्सेना ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व जज उमेश कुमार को डीईआरसी का चेयनमैन नियुक्त किया था, लेकिन अभी तक वो पद की जिम्मेदारी नहीं ले पाए हैं. इसकी पीछे मुख्य वजह दिल्ली के बिजली मंत्री का उपलब्ध नहीं होना बताया जा रहा है. दूसरी तरफ माना जा रहा है कि डीईआरसी चेयरमैन की नियुक्ति दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच विवाद का नया विषय बन गया है. 


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