D2M in Delhi: आधुनिक भाग दौड़ भरी जिंदगी में मानव जीवन को आसान के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है. जिसके सतत अनुसंधान का क्रम जारी है. इंटरनेट सेवाओं ने इसमें महती भूमिका अदा की है, जहां इसने पूरी दुनिया को एक सूत्र में पिरोने का काम किया है. बेहतर इंटरनेट कनेक्टिविटि से कहीं पर भी लाइव प्रोग्राम का मनोरंजन किया जा सकता है. हालांकि कभी कभार बेहतर इंटरनेट सेवा उपलब्ध न होने के कारण अपने पसंदीदा कार्यक्रम का नहीं देख पाते हैं. इस क्षेत्र में सरकार एक नई तकनीक पर काम कर रही है, जिसके बाद बगैर इंटरनेट के मोबाइल फोन या टीवी पर अपने कार्यक्रम का आनंद उठा सकेंगे. ये ठीक उसी प्रकार होगा जैसे आप घर बैठे बिना इंटरनेट के डी2एच के माध्यम से टीवी पर लाईव प्रोग्राम देखते हैं.
दरअसल केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, केंद्रीय दूर संचार विभाग और आईआईटी कानपुर की टीम डीटूएच की तरह डीटूएम की तकनीक को विकसित करने पर काम कर रही है. जिससे बिना इंटरनेट के मल्टीमीडिया फोन पर लाइव टीवी चैनल को देखना संभव हो सकेग. ये टीम अगले हफ्ते इस तकनीक की व्यवहारिकता पर दूरसंचार ऑपरेटरों से बातचीत करेगी.
80 करोड़ मोबाइल यूजर को D2M से जोड़ने की तैयारी
सरकार इस तकनीक को नई पीढ़ी की प्रसारण तकनीक बता रही है. सूत्रों के मुताबिक देश में अगले साल आम चुनाव होने वाले हैं, इसके पहले मोबाइल फोन को डीटूएम से जोड़ने की योजना है. अभी देश में करीब 22 करोड़ घरों में टीवी है. जबकि स्मार्टफोन के 80 करोड़ से ज्यादा यूजर हैं. मोबाइल फोन यूजर की संख्या 2026 तक एक अरब होने की संभावना है. अभी एक यूजर हर महीने करीब 20 जीबी इंटरनेट डेटा खर्च करता है. इसलिए सरकार टीवी कंटेंट को ज्यादा लोगों तक भेजने के लिए फोन को एक बड़े प्लेटफॉर्म के रूप में देख रही है. सरकार की प्राथमिकता डीटूएम के माध्यम से शिक्षा और आपात की सूचनाओं को प्रसारित करना है.
FM रेडियो की तकनीक पर काम करेगा डीटूएम
ये तकनीक ब्रॉडबैंड और ब्रॉडकास्ट का कॉम्बिनेशन है. इससे मोबाइल फोन डीजिटल टीवी की तरह काम करेंगे. जिस तकनीक से मोबाइल फोन पर एफएम रेडियो प्रसारित होता है, उसी तरह से डीटूएम भी काम करेगा. फोन मे लगा रिसीवर रेडियो फ्रीक्वेंसी पकड़ेग. इसके लिए 526-582 मेगाहर्ट्स बैंड का प्रयोग करने की तैयारी है. सूचना मंत्रालय अभी इस बैंड का उपयोग टीवी ट्रांसमीटर के लिए करता है. इससे पहले साल 2005 में दक्षिण कोरिया ने इस तकनीक को लॉन्च किया था. जिसका नाम 'मोबाइल टेलीविजन' रखा गया था. वहीं, 2006 में हॉन्गकॉन्ग और जर्मनी में भी ऐसी ही तकनीक की शुरुआत हुई थी. अब देश में भी डीटूएम लॉन्च करने की तैयारी है, जिसकी तकनीक उनसे थोड़ी उन्नत है.
मोबाइल ऑपरेटर कर सकते हैं विरोध
हालांकि, इसे लेकर सरकार के सामने मोबाइल ऑपरेटर के विरोध की चुनौती भी उत्पन्न हो सकती है. चूंकि, सरकार बिना डेटा खर्च के मल्टीमीडिया कंटेंट लोगों के फोन तक पहुंचाना चाहती है, इससे मोबाइल ऑपरेटर को डेटा से मिलने वाला रेवेन्यू प्रभावित होगा. जिसके बाद वे इसका विरोध कर सकते हैं. मोबाइल ऑपरेटर का 80 फीसदी इंटरनेट ट्रैफिक वीडियो से ही आता है और डीटूएम से निश्चित ही उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है.