Delhi News: दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) की शुरुआती जांच से पता चला है कि वर्ष 2023 के 11 महीनों में निजी प्रयोगशालाओं के जरिये ‘मोहल्ला क्लीनिक’ में 65 हजार फर्जी रोगियों की चिकित्सकीय जांच की गई. दिल्ली एसीबी के अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि फरवरी-दिसंबर 2023 के दौरान दो निजी प्रयोगशालाओं ने लगभग 22 लाख परीक्षण किए, जिनमें से 65,000 फर्जी पाए गए. 


अधिकारियों ने कहा कि प्रयोगशालाओं को उनके द्वारा किए गए परीक्षणों के लिए सरकार ने 4.63 करोड़ रुपये का भुगतान किया था. वहीं, आम आदमी पार्टी सरकार के सूत्रों ने कहा, ‘‘दिल्ली सरकार मोहल्ला क्लीनिक या किसी अन्य विभाग के कामकाज में किसी भी तरह की गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं करेगी. दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.’’ 


LG ने जनवरी में जांच की सिफारिश की थी


पिछले महीने दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने मोहल्ला क्लीनिक में किए गए प्रयोगशाला परीक्षणों में कथित अनियमितता के मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. गृह मंत्रालय ने इस मामले में सीबीआई को जांच करने का निर्देश दिया था. एसीबी के एक अधिकारी ने दावा किया कि निजी प्रयोगशालाओं ने कथित तौर पर ‘फर्जी मरीजों’ की जांच हुई, कभी किसी मोहल्ला क्लिनिक में नहीं गए थे. उन्होंने कहा कि यह भी सामने आया कि दो निजी प्रयोगशालाओं द्वारा प्रयोगशाला प्रबंधन सूचना प्रणाली (एलआईएमएस) के संचालन में हेर-फेर किया गया, जिसमें रोगियों के नाम और मोबाइल नंबर शामिल होते हैं. 


एसीबी के अधिकारियों के मुताबिक जांच रिपोर्ट में पाया गया है कि दो निजी वेंडर के पास डेटा और सिस्टम सॉफ्टवेयर को लेकर ‘‘पूर्ण नियंत्रण’’ है, इसलिए डेटा में हेरफेर की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. मोहल्ला क्लीनिक में विभिन्न जांच की लागत 100 रुपये से 300 रुपये तक है. उन्होंने कहा कि एसीबी ने दोनों निजी प्रयोगशालाओं में मरीजों के मोबाइल नंबरों के यादृच्छिक (रैंडम) टेलीफोन-सत्यापन के माध्यम से पाया कि बड़ी संख्या में जांच का संबंध अमान्य मोबाइल नंबरों या उन मोबाइल नंबर से था, जो मरीजों से जुड़े नहीं थे. 


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