Mundka Fire: मुंडका अग्निकांड में मारे गए 26 लोगों के परिजनों का लिया गया DNA सैंपल, NHRC की टीम ने की पड़ताल
दिल्ली मुंडका अग्निकांड के शिकार हुए 27 मृतकों में से 26 के परिजनों के डीएनए नमूने ले लिए गए हैं. वहीं एक लापता महिला का डीएनए नमूना अभी तक कलेक्ट नहीं किया गया है.
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Mundka Fire News: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के मुंडका में चार मंजिला बिल्डिंग में हुए अग्निकांड में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों से कुल 26 के डीएनए नमूने लिए गए हैं. एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी. पुलिस उपायुक्त समीर शर्मा ने बताया कि कुल 27 लापता लोगों की सूची तैयार की गई थी.उन्होंने कहा, हमने मृतक की पहचान के लिए 26 डीएनए नमूने एकत्र किए हैं, जबकि एक लापता महिला का डीएनए नमूना अभी तक एकत्र नहीं किया गया है, क्योंकि अब तक उनका कोई ब्लड रिलेशन नहीं मिला है.
13 मई को मुंडका में चार मंजिला इमारत में आग लगने से 27 लोगों की मौत हो गई थी
गौरतलब है कि राष्ट्रीय राजधानी में हाल के वर्षों में देखी गई सबसे घातक अग्नि त्रासदियों में से एक मुंडका में 13 मई को हुई थी. दरअसल पश्चिमी दिल्ली के मुंडका इलाके में मेट्रो स्टेशन के पास स्थित एक बहुमंजिला इमारत में भीषण आग लग गई थी. इस अग्निकांड में 27 लोगों की मौत हो गई थी और 12 लोग घायल हो गए थे. वहीं तीन दिन बाद भी, चिकित्सक 27 शवों में से केवल आठ की पहचान कर पाए हैं, जिन्हें नष्ट हो चुकी इमारत से बरामद किया गया था. इसका कारण यह है कि अधिकांश शव इस हद तक जले चुके थे कि यह भी पता लगाना मुश्किल था कि जले हुए पार्थिव शरीर किसी पुरुष के थे या महिला के थे.
NHRC की टीम में आग की शिकार इमारत की जांच-पड़ताल की
वहीं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की एक टीम ने हाल ही में आग का शिकार हुई मुंडका स्थित इमारत की सोमवार को जांच-पड़ताल की. एनएचआरसी के डीआईजी एस. के. मीणा ने पूरे भवन का निरीक्षण किया और बाद में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि वे वहां हुए किसी भी (संभावित) मानवाधिकार उल्लंघन की जांच कर रहे हैं.
टीम पूरे मामले की जांच भी करेगी
इससे पहले रविवार को, एनएचआरसी ने घटना का स्वत: संज्ञान लिया था और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर अपने मुख्य सचिव को दो सप्ताह के भीतर आयोग को एक रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा था, जिसमें जिम्मेदार अधिकारियों या कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करना शामिल है.एनएचआरसी ने यह भी देखा कि इस आग की घटना ने एक बार फिर साबित किया है कि शहर के अधिकारियों ने अतीत में इसी तरह की घटनाओं से बहुत कम सीखा है जो अग्नि सुरक्षा तंत्र की पूरी कमी और उनके कार्यान्वयन में अंतर को उजागर करता है.
अग्निकांड की शिकार इमारत के रास नहीं था अग्निशमन विभाग का NOC
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में लोक सेवकों के वैधानिक कर्तव्यों की पूर्ण उदासीनता और पूरी तरह से लापरवाही के कारण पीड़ितों के मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन का सबसे खराब मामला प्रतीत होता है, जिससे मूल्यवान जीवन का नुकसान होता है.प्रासंगिक रूप से, दुर्भाग्यपूर्ण इमारत के पास अग्निशमन विभाग से आवश्यक अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) नहीं था.दिल्ली अग्निशमन सेवा के प्रमुख अतुल गर्ग कई बार कह चुके हैं कि उक्त भवन मालिकों ने कभी भी फायर एनओसी के लिए आवेदन नहीं किया. बता दें कि एक फायर एनओसी प्रमाणित करता है कि एक इमारत को दिल्ली अग्निशमन सेवा नियमों के नियम 33 के अनुसार आग की रोकथाम और अग्नि सुरक्षा आवश्यकताओं का अनुपालन माना गया है.
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