दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक राज्यसभा में मंगलवार को पास हो गया. दिल्ली एमसीडी के एकीकरण के विधेयक को राज्यसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने पेश किया. राज्यसभा में बहस के दौरान विपक्ष के सदस्यों ने इस विधेयक को लेकर हंगामा किया. राज्यसभा में विपक्ष के सांसदों ने कहा कि दिल्ली में तीन नगर निगमों को एकीकरण करने वाला विधेयक संवैधानिक नैतिकता के खिलाफ कानूनी रूप से गलत है और इसे या तो निरस्त किया जाना चाहिए या संसद की एक समिति को समीक्षा के लिए भेजा जाना चाहिए.
कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने इस विधेयक पर कहा कि केंद्र सरकार राजधानी पर अपना कब्जा करना चाहती है. मैं इस विधेयक का और शुरुआत में विरोध करता हूं और यह विधेयक संवैधानिक रूप से संदिग्ध, प्रशासनिक रूप से लूट और राजनीतिक रूप से पाखंडी है. इस विधेयक के द्वारा दिल्ली में नगरपालिका चुनावों में देरी करने के लिए एक चाल है.
इसके साथ ही सिंघवी ने कहा कि अगर केंद्र सरकार नगर निकायों में सुधार करना चाहती है, तो उसने अब तक इंतजार क्यों किया. दिल्ली नगर निगम के वार्डों को 272 से घटाकर 250 करने से कैसे दिल्ली के लोगों की मदद होगी या एमसीडी इससे कैसे बेहतर बनेगी. इसके साथ ही राकांपा की फौजिया खान ने कहा कि यह विधेयक दिल्ली में आपातकाल जैसी स्थिति पेश करेगा.
Delhi News: आप विधायक आतिशी ने कहा, केंद्र सरकार दिल्ली में एमसीडी के साथ कर रही है सौतेला व्यवहार
सीपीआई (एम) के सासंद जॉन ब्रिटास ने कहा यह विधेयक दिल्ली के लोगों को बुनियादी लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित करता है. तृणमूल कांग्रेस के जवाहर सरकार ने कहा कि जब आप इन सभी निकायों का विलय कर देंगे, तो विभिन्न केडर्स के अधिकारियों का क्या होगा.
राज्यसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को विधेयक पेश करते हुए कहा था दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने दिल्ली के तीन नगर निकायों के साथ सौतेला व्यवहार किया. ये बिल फेडरल स्ट्रक्चर पर किसी भी दृष्टि से कोई आघात नहीं करता, जो लोग सत्ता में हैं और हर रोज हाय-तौबा करते हैं उन्हें चुनाव लड़ते वक्त ये देख लेना चाहिए कि लड़ने के बाद कितने अधिकार मिलेंगे. इस विधेयक को लोकसभा ने 30 मार्च को पारित किया था.