New Delhi: राजधानी में दिल्ली नगर निगम ने एक जैसी संपत्ति कर नीति लागू कर दी है. वहीं, इसी बीच सामने आ रही संपत्ति कर की दरों में बढ़ोतरी की खबरों का निगम ने खंडन किया है. निगम का कहना है कि 16 जुलाई 2022 से पूरी दिल्ली में एकरूपीय संपत्ति कर नीति लागू की गई है. लेकिन संपत्ति कर की दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है.


संपत्ति कर की दरों में बढ़ोत्तरी की खबरों को बताया गलत
निगम ने स्पष्टीकरण दिया है कि मीडिया में जो खबरें चल रही है कि निगम ने संपत्ति कर की दरें दोगुनी कर दी हैं, वह खबरें सरासर गलत हैं, उनमें जरा भी सच्चाई नहीं है. दिल्ली में निगम के अधिकार क्षेत्र में आने वाली 80 फ़ीसदी संपत्ति रिहायशी हैं, तो वहीं 20 फीसदी संपत्तियां गैर रिहायशी हैं और रिहायशी संपत्तियों के लिए संपत्ति कर की दरों में निगम ने कोई बदलाव नहीं किया है.



पिछले साल जितना ही देना होगा संपत्ति कर
बता दें कि दिल्ली नगर निगम में 16 जुलाई 2022 से पूरी दिल्ली में एक जैसी संपत्ति कर नीति लागू की है, जिसमें की आरडब्ल्यूए की सहभागिता से इसे और मजबूत बनाने की पहल की गई है ताकि दिल्ली के लोगों के लिए यह नीति अधिक प्रभावशाली और कुशल साबित हो और नागरिकों को इसका फायदा मिले सके. इसके साथ ही जो पिछले साल संपत्ति कर की दरें थी, उसी के मुताबिक दिल्ली में रहने वाले लोगों को निगम को संपत्ति कर देना होगा.


एफ, जी, एज श्रेणी की कॉलोनियों में संपत्ति कर की दरें घटीं
वहीं, दिल्ली में गैर आवासीय संपत्तियों के लिए भी निगम ने संपत्ति कर की दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की है, बल्कि एफ, जी तथा एच श्रेणी की कॉलोनियों के लिए संपत्ति कर की दरें 20 फ़ीसदी से घटाकर 15 फ़ीसदी कर दी गई हैं. इसके अलावा पूर्वी दिल्ली इलाके में आने वाली कुछ श्रेणी की संपत्तियों की उपयोगिता घटक में कमी की गई है, जिससे कि संपत्ति कर की दरों में एकरूपता आ सके, इसके चलते पूर्वी दिल्ली की संपत्ति कर की दरों में कमी की गई है ना की बढ़ोतरी.


अब पूरी दिल्ली में समान संपत्ति कर का नियम लागू
इसके अलावा अलग-अलग श्रेणी में आने वाले शॉपिंग मॉल में स्थित छोटी दुकानों के संपत्ति कर में पहले के मुकाबले कमी की गई है, इसके साथ ही पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों का पुनः वर्गीकरण किया गया है, जिससे कि एक समान संपत्ति कर हो. पूर्वी दिल्ली नगर निगम में पहले 1500 वर्ग फुट से अधिक क्षेत्रफल वाली सभी रिहायशी संपत्तियों को ए श्रेणी में रखा जाता था और इन पर संपत्ति कर की दर 20 फ़ीसदी लगाई जाती थी, लेकिन अब पूरी दिल्ली में एक जैसी संपत्ति कर नीति लागू होने के बाद इसे वापस ले लिया गया है.


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