Delhi-NCR Air Pollution: कुछ दिनों पहले दिल्ली के लोगों को प्रदूषण से थोड़ी राहत मिलती दिखाई दे रही थी, लेकिन एक बार फिर 8 नवंबर से दिल्ली में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर बढ़ रहा है. बीते 24 घंटे में राजधानी में प्रदूषण से हालात बेकाबू होते दिखाई दे रहे हैं. दिल्ली के कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 के पार पहुंच चुका है. वहीं धुंध की चादर का प्रभाव भी देखने को मिल रहा है.
इसके अलावा लोग सांस, आंख और गले में तकलीफ की समस्या को एक बार फिर से महसूस कर रहे हैं. वैसे बीते सालों की तुलना में दिसंबर के पहले सप्ताह से राजधानी को प्रदूषण से राहत मिलनी शुरू हो जाती है, लेकिन इस बार हालात सुधरने के बाद फिर से बिगड़ते दिखाई दे रहे हैं. दिल्ली के कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक गंभीर स्तर पर देखा गया है. इनमें सबसे अधिक पंजाबी बाग का एक्यूआई 420, नेहरू नगर में 414, द्वारिका सेक्टर 8 में 407, अशोक विहार में 403, जहांगीरपुरी में 424, रोहिणी में 416, वजीरपुर में 408, बवाना में 407 और आनंद विहार में 415 रिकॉर्ड किया गया है.
ये भी पढ़ें- Delhi Congress Manifesto 2022: संत रविदास मंदिर का निर्माण, हर घर RO का जल, कांग्रेस ने घोषणापत्र में किए ये वादे
ग्रेटर नोएडा में एक्यूआई 406 किया गया रिकॉर्ड
इसके अलावा एनसीआर की स्थिति भी काफी चुनौतीपूर्ण बनी हुई है. ग्रेटर नोएडा में एक्यूआई आंकड़ा 406 रिकॉर्ड किया गया है. क्षेत्र में एक्यूआई 300 के पार काफी खतरनाक माना जाता है, लेकिन राजधानी में तो इससे भी अधिक 400 के ऊपर एक गंभीर स्थिति को दर्शा रहा है. ऐसे हालात में राज्य सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सामने एक बड़ी चुनौती है कि एक बार फिर से कुछ शख्त पाबंदियों को लगाकर प्रदूषण को नियंत्रित किया जाए या फिर अन्य व्यवस्थाओं के माध्यम से इस चुनौती से निपटा जाए.
अक्टूबर में लगाई गई थी कईं पाबंदियां
अक्टूबर महीने में दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय की ओर से निर्माण कार्य को रोकने, प्राइमरी स्कूलों को बंद करने, लोगों से वर्क फ्रॉम होम की अपील करने जैसी पाबंदियां लागू की गई थीं. स्थिति सामान्य होने के बाद इन पाबंदियों को हटा दिया गया था, लेकिन एक बार फिर से यह संकट दिल्ली के लोगों और सरकार के सामने आ खड़ा हुआ है. इसके अलावा आने वाले 4 दिनों में दिल्ली में नगर निगम चुनाव होने वाले हैं. ऐसी स्थिति में देखना होगा कि दिल्ली सरकार, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य चुनाव आयोग की ओर से इस समस्या से कैसे निपटा जाता है?