Delhi-NCR Air Pollution: दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) में वायु प्रदूषण (Air Pollution) एक बड़ी समस्या रहती है. नवंबर महीने के आस-पास तो हालात और खराब होने लगते हैं. वायु प्रदूषण पर कंट्रोल के लिए कई कदम उठाए जाते रहे हैं. इसी कड़ी में अब एक और फैसला लिया गया है. दरअसल दिल्ली-एनसीआर में सिर्फ 12 तरह के ईंधन के इस्तेमाल की ही अनुमति होगी. इसमें पेट्रोल-डीजल, बिजली, सीएनजी और लकड़ी का कोयला भी शामिल हैं. केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (Central Air Quality Management Commission) ने इन सभी ईंधनों और उनके अलग-अलग क्षेत्र में इस्तेमाल के निर्देश जारी किए हैं.
केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के मुताबिक जिन जगहों पर पीएनजी का ढांचा मौजूद है, वहां एक अक्टूबर से सिर्फ इन्हीं ईंधनों के इस्तेमाल की इजाजत होगी, जबकि जहां पीएनजी का ढांचा मौजूद नहीं है, वहां एक जनवरी 2023 से केवल इन्हीं ईंधनों का इस्तेमाल किया जा सकेगा, जबकि थर्मल बिजली संयंत्रों में कम सल्फर वाले कोयले के इस्तेमाल को मंजूरी रहेगी. निर्धारित ईंधन के अलावा दूसरे ईंधन का किसी भी श्रेणी में इस्तेमाल के लिए आयोग से इजाजत लेनी होगी. केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग इस पर योग्यता के आधार पर विचार करेगा.
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जानिए किस क्षेत्र में किस तरह के इस्तेमाल होंगे ये ईंधन
- पेट्रोल (10 पीपीएम सल्फर के साथ बीएस छह) का इस्तेमाल वाहनों के ईंधन के तौर पर होगा.
- डीजल (10 पीपीएम सल्फर के साथ बीएस छह) का इस्तेमाल वाहनों के ईंधन के तौर पर होगा.
- हाइड्रोजन और मीथेन का वाहनों और औद्योगिक ईंधन के तौर पर इस्तेमाल होगा.
- प्राकृतिक गैस (सीएनजी-पीएनजी-एलएनजी) का वाहनों, उद्योगों और घरेलू इस्तेमाल होगा.
- पेट्रोलियम गैस (एलपीजी-प्रोपेन-ब्यूटेन) का वाहनों, उद्योगों और घरेलू कार्यों के लिए इस्तेमाल होगा.
- बिजली- वाहनों, उद्योगों, व्यावसायिक और घरेलू इस्तेमाल
- एवीएशन टरबाइन फ्यूल
- बायोफ्यूल (बायो-एलकोहॉल, बायो-डीजल, बायो गैस, सीबीजी, बायो-सीएनजी)- उद्योगों, वाहनों और घरेलू इस्तेमाल
- रिफ्यूज डिराइव्ड फ्यूल (आरडीएफ)- ऊर्जा संयंत्र, सीमेंट प्लांट, वेस्ट टू एनर्जी प्लांट
- फायरवुड (जलावन)- बायोमास ब्रिकेट का इस्तेमाल धार्मिक कार्यों के लिए
- लकड़ी-बंबू चारकोल का इस्तेमाल- होटल, रेस्टोरेंट, बैंक्वेट हॉल में तंदूर और ग्रिल में (कार्बन उत्सर्जन चैनलाइजेशन या कंट्रोल सिस्टम के साथ) और खुले में चलने वाली खान-पान की दुकानों और ढाबे में होगा.
- 12.लकड़ी का कोयला- कपड़े में इस्त्री करने के लिए वहीं शवदाह गृहों में बिजली, सीएनजी, लकड़ी या बायोमॉस ब्रिकेट का इस्तेमाल होगा.
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