Delhi Liquor Policy: दिल्ली में शराब की 125 दुकानों पर लगा ताला, कारोबारी बोले- शराब नीति पर रार-तकरार के बीच हो रहा भारी घाटा
Delhi Liquor Policy: कारोबारियों का कहना है कि उन्होंने परमिट प्राप्त करने के लिए आबकारी शुल्क और उत्पाद शुल्क के तौर पर मोटी रकम चुकाई, लेकिन उन्हें शराब की बिक्री से अच्छा लाभ नहीं मिल रहा है.

Delhi Liquor News: नई शराब नीति को लेकर उठे विवाद और दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा शराब की दुकानों के लाइसेंस को 1 माह के लिए बढ़ाए जाने के फैसले के कारण 6 जोनल लाइसेंसधारियों ने अपने परमिट सरेंडर कर दिए, जिसकी वजह से राजधानी में 125 शराब की दुकानों पर ताला लग गया है. यानी 31 जुलाई से पहले दिल्ली में जहां शराब की 468 दुकानें हुआ करती थीं वह अब घटकर 343 रह गई हैं. दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के तहत शहर में 849 शराब की दुकानें होनी चाहिए, लेकिन नई शराब नीति पर कलह के बाद ग्रेटर कैलाश, सफदरजंग एन्क्लेव, हौज खास, चित्तरंजन पार्क, सरिता विहार, पंजाबी बाग, चिराग दिल्ली, द्वारका और मॉडल डाउन जैसे प्रमुख इलाकों में शराब की एक भी दुकान नहीं चल रही है.
आबकारी विभाग ने दी सेवाएं बंद करने की अनुमति
बता दें कि दिल्ली सरकार के आबकारी विभाग ने सोमवार को 6 जोनल लाइसेंसधारियों को अपनी सेवाएं बंद करने की अनुमति दी और खुदरा क्षेत्र में स्टॉक और दुकानों को सील करने का निर्देश दिया. आबकारी नीति के तहत दिल्ली को 32 पूर्व निर्धारित क्षेत्रों में विभाजित किया गया है, जिसमें प्रत्येक में अधिकतम 27 दुकानें रह सकती हैं. यहां तक कि जब सभी जोन चालू थे तब भी 849 शराब की दुकानों में से केवल 639 दुकानें की चालू थीं, क्योंकि नागरिक एजेंसियों ने गैर अनुरूप क्षेत्रों में दुकानों को अनुमति देने से इंकार कर दिया था, इसके अलावा कुछ अन्य इलाकों में नागरिकों ने भी शराब की दुकानों का विरोध किया था.
भारी घाटे की वजह से दुकान बंद करने को मजबूर हुए कारोबारी
भारी मात्रा में शराब की दुकानों के बंद होने से शहर में शराब की किल्लत हो गई है. वहीं दुकानों को बंद करने वाले कारोबारियों का कहना है कि उन्होंने शराब बेचने का परमिट प्राप्त करने के लिए आबकारी शुल्क के तौर पर 230 से 340 करोड़ रुपये चुकाए थे लेकिन इतना भारी उत्पाद शुल्क का भुगतान करने के बाद भी उन्हें शराब की बिक्री से अच्छा लाभ नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा कि कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच शराब के बड़े ब्रांडों पर जो छूट दी गई उससे भी उन्हें भारी नुकसान हुआ. शराब कारोबियों सरकार के बीच तकरार और वित्तीय अस्थिरता के कारण उन्हें इस कारोबार में घाटा उठाना पड़ रहा है. साथ ही उन्होंने कहा कि लाइसेंस में एक महीने का विस्तार हमारे लिए कोई राहत की बात नहीं है. उत्पाद शुल्क और स्टॉक की खरीद के रूप में इतनी बड़ी रकम का निवेश करने का कोई मतलब नहीं है, जब हमें पता है कि 31 अगस्त तक हमें अपना कारोबार पूरी तरह समेटना है.
यह भी पढ़ें:
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
