Delhi News: पुलिस की हिरासत में आये नशे में धुत एक शख्स ने चलती जिप्सी से छलांग लगा दी, लेकिन वह अपने भागने के मंसूबे में कामयाब नहीं हो सका. जिप्सी से कूदने की वजह से उसके सिर में गंभीर चोटें आई, जिसके इलाज के लिए पुलिस उसे एक के बाद एक करके दिल्ली के चार बड़े अस्पलाओं में लेकर गयी, लेकिन कहीं भी उसे समुचित इलाज नहीं मिल पाया. नतीजन पुलिस की गिरफ्त से बचने के चक्कर में वह जिंदगी से ही हाथ धो बैठा. इस मामले में मृत शख्स की पहचान प्रमोद के रुओ में हुई है, वह न्यू उस्मानपुर का रहने वाला था. पुलिस ने उसके शव को पोस्टमार्टम के लिए जीटीबी अस्पताल की मोर्चरी भेज दिया है. डीसीपी नॉर्थ ईस्ट डॉ. जॉय तिर्की ने बताया कि मामले में मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिए गए हैं. वहीं पोस्टमार्टम के लिए मेडिकल बोर्ड के गठन की मांग की गई है. जांच उसके में जो भी तथ्य सामने आएंगे आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.
महिला से छेड़छाड़ और झगड़े की मिली थी शिकायत
डीसीपी ने बताया कि, मृतक प्रमोद अपने परिवार के साथ गली नंबर-11, शांति मोहल्ला, न्यू उस्मानपुर में रहता था. मंगलवार रात करीब 9.03 बजे उनकी टीम को गली नंबर-9, शाति मोहल्ला से सूचना मिली कि शराब के नशे में धुत एक व्यक्ति महिला के साथ झगड़ा कर रहा है. मौके पर पहुंची पुलिस को दी गई शिकायत में वहां मौजूद 21 वर्षीय विवाहित महिला ने आरोप लगाया कि प्रमोद ने उसके साथ मारपीट करने के अलावा छेड़छाड़ की है.
थाने ले जाने के क्रम में आरोपी कूड़ा जिप्सी से गिरा
जिस पर मोबाइल पेट्रोलिंग वैन पर तैनात एसआई मिंटू और कांस्टेबल इमरान ने आरोपी प्रमोद हिरासत में लेकर जिप्सी में बिठाया और थाने ले जाने लगे. नशे में होने के कारण प्रमोद रास्ते में उल्टी करने लगा. जिप्सी की खिडकी का शीशा खुला हुआ था. इसी दौरान मौका पाकर वह चलती गाड़ी से नीचे कूद गया. मगर सड़क पर गिरने से उसके सिर में गंभीर चोट आई. पुलिस उसे तुरंत ही सबसे नजदीकी जग प्रवेश चंद्र अस्पताल ले गई. जहां से डॉक्टरों ने उसे बेहतर इलाज के लिए जीटीबी अस्पताल रेफर कर दिया. जिस पर पुलिस उसे जीटीबी अस्पताल लेकर पहुंची. मगर यहां डॉक्टरों ने बताया कि अस्पताल को सीटी स्कैन मशीन खराब पड़ी है. डॉक्टरों ने प्रमोद को दिल्ली गेट स्थित एलएनजेपी अस्पताल के लिए रेफर कर दिया.
सुबह अस्पताल में तोड़ा दम
लेकिन यहां पहुंचने पर डॉक्टरों ने एंबुलेंस एवं पुलिस स्टाफ को बताया कि मरीज को वेंटिलेटर की जरूरत है, और अभी वेंटिलेटर बेड खाली नहीं है. यहां से डॉक्टरों ने प्रमोद को आरएमएल ले जाने के लिए कहा. मगर जब आरएमएल अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टरों ने यहां भी वेंटिलेटर बेड खाली नहीं होने की बात कही. इस तरह रात भर एंबुलेंस स्टाफ, पुलिस कर्मियों के साथ प्रमोद को लेकर अस्पतालों के चक्कर काटते रहे. थक हार कर वे सुबह वापस प्रमोद को जग प्रवेश चंद्र अस्पताल लेकर गए. जहां उचित इलाज के अभाव में सुबह करीब पौने छह बजे प्रमोद ने दम तोड़ दिया.
समय से मिल जाता इलाज तो बच सकती थी जान
घटना के बाद पुलिस खुद प्रमोद को एक के बाद एक दिल्ली के चार बड़े अस्पताल में लेकर पहुंची. जिसमें कथित तौर पर यह कहा जा रहा है कि कहीं सिटी स्कैन की व्यवस्था नहीं तो कहीं वेंटिलेटर बेड नहीं था. जिस तरह से इलाज के आभाव में रात भर दिल्ली के अस्पतालों का चक्कर काटने के बाद उसी अस्पताल में प्रमोद ने इलाज के दौरान दम तोड़ा जहां से उसे दूसरे अस्पताल के लिए रेफर किया गया था. अगर पहले या दूसरे अस्पताल में ही उसे सही इलाज मिल जाता तो शायद उसकी जान बच जाती. अब यह दिल्ली के कथित बड़े अस्पतालों में सुविधाओं के आभाव की वजह से हुआ हुआ या फिर पुलिस की लापरवाही की वजह से यह जांच का विषय है. जिसके मजिस्ट्रेट जांच के आदेश डीसीपी ने दे दिये हैं. वहीं, प्रमोद की मौत पर उसके परिजनों ने कुछ भी बोलने से मना कर दिया. हालांकि एक रिश्तेदार ने बताया कि सुबह करीब 11 बजे पुलिस ने परिजनों को प्रमोद की मौत की सूचना दी.
आपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहा है आरोपी
पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक, प्रमोद के परिवार में बुजुर्ग मां के अलावा छोटा भाई जितेंद्र, पली ममता (44), एक बेटी और दो बेटे हैं. कई साल पहले सड़क हादसे में उसकी टांग में चेट लग गई थी. जिसके बाद से हो यह बेरोजगार था. घर का खर्चा छोटा भाई जितेंद्र उठाता था. जितेंद्र की न्यू उस्मानपुर इलाके में दूध की डेयरी है. प्रमोद के खिलाफ पहले से हत्या के प्रयास और धारदार हथियार से हमला करने के दो मामले दर्ज थे. वर्ष 2003 में उसने न्यू उस्मानपुर इलाके में एक युवक पर हथियार से हमला किया था. इसके अलावा प्रमोद ने जून 2015 में न्यू उस्मानपुर में रुपयों की लेनदेन में एक व्यक्ति पर चाकू से हमला किया था. दोनों ही मामलों में पुलिस ने उसे गिरफ्तार भी किया था.
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