दिल्ली: रोहिंग्या के मुद्दे पर दिल्ली की राजनीति गरमाने लगी है. इस मुद्दे पर केंद्र सरकार और दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAM AADMI PARTY) की सरकार आमने सामने आ गई है. इस मसले पर ताजा हमला दिल्ली से सांसद गौमत गंभीर (BJP MP Gautam Gambhir) ने बोला है. गंभीर ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Delhi CM Arvind Kejriwal) पर नीची राजनीति करने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि अरविंद केजरीवाल यह बताएं कि रोहिंग्या को लेकर उनकी क्या स्टैंड है.
गौतम गंभीर ने अरविंद केजरीवाल पर क्या आरोप लगाए
पूर्व क्रिकेटर और पूर्वी दिल्ली के सांसद गौतम गंभीर ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नीची राजनीति करते हैं. उन्होंने कहा कि रोहिंग्या को लेकर केजरीवाल पत्र लिखते हैं. उन्होंने इसे घिनौनी राजनीति बताया. बीजेपी सांसद ने कहा कि इस गंदी राजनीति के लिए अरविंद केजरीवाल को शर्म आनी चाहिए. उन्होंन अरविंद केजरीवाल से जानना चाहा है कि रोहिंग्या को लेकर उनका स्टैंड क्या है.
बीजेपी का अरविंद केजरीवाल पर हमला
इससे पहले बीजेपी के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा था कि अरविंद केजरीवाल को दिल्ली वालों की नहीं रोहिंग्याओं की चिंता है.भाटिया ने कहा था कि 29 जुलाई को दिल्ली के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि अवैध प्रवासियों को उपयुक्त आवास में स्थानांतरित किया जाए.इससे पहले गृह मंत्रालय ने भी इस पर अपनी स्थिति साफ की थी.भाटिया ने कहा था कि यह अरविंद केजरीवाल की जिम्मेदारी थी कि जहां भी रोहिंग्या रह रहे थे, उस जगह को कानून के तहत डिटेंशन सेंटर घोषित करते, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. उन्होंने कहा था कि केजरीवाल की नीयत में खोट है.
दरअसल बीजेपी का आरोप है कि दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी ने रोहिंग्या घुसपैठियों को ईडब्लूएस घर में शिफ्ट करने का फैसला किया है. उसका कहना है कि गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार को ऐसा करने से मना किया है.बीजेपी का कहना है कि गृह मंत्रालय ने रोहिंग्या को उनके देश भेजने का कहा है. उसका कहना है कि जहां रोहिंग्या रह रहे हैं, उस जगह को दिल्ली सरकार को डिटेंशन सेंटर घोषित कर देना चाहिए.
मनीष सिसोदिया का केंद्र सरकार पर हमला
वहीं इस मामले में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बुधवार को आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार चोरी-छुपे रोहिंग्याओं को दिल्ली में स्थायी ठिकाना देने की कोशिश कर रही थी.उनका कहना था कि केंद्र सरकार के इशारे पर उपराज्यपाल के कहने पर ही अधिकारियों और पुलिस ने फैसला लिया है. इस फैसले को मुख्यमंत्री या दिल्ली के गृहमंत्री को दिखाए बिना मंजूरी के लिए उपराज्यपाल को भेजा जा रहा था. उनका कहना था कि दिल्ली सरकार इस साज़िश को कामयाब नहीं होने देगी.
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