Delhi: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने कारोबारी विजय नायर (Vijay Nayar) को मंगरवार को गिरफ्तार किया. दिल्ली की कथित शराब नीति घोटाले में यह पहली गिरफ्तारी थी. नायर को आज दिल्ली की एक अदालत में पेश किया जाएगा.गिरफ्तारी से पहले सीबीआई ने नायर को पूछताछ के लिए बुलाया था.सीबीआई अधिकारियों ने उनसे लंबी पूछताछ की थी.इस मामले में सीबीआई की ओर से दायर केस में विजय नायर पांचवें नंबर का आरोपी है. वो इवेंट मैनेजमेंट कंपनी ओनली मच लाउडर के पूर्व सीईओ है. इससे पहले ईडी ने उसके ठिकानों पर छापेमारी की थी. वहीं आम आदमी पार्टी (AAM AADMI PARTY) ने कहा है कि विजय नायर का आबकारी नीति से कोई लेना-देना नहीं है. पार्टी ने उसे मीडिया रणनीतिकार बताया है. उसका कहना है कि वह गुजरात चुनाव के लिए रणनीति बना रहा था. 


सीबीआई ने क्या आरोप लगाए हैं


सीबीआई का आरोप लगाया है कि विजय नायर के जरिए एक शराब फर्म के मालिक से रिश्वत ली गई थी.सीबीआई ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में एफआईआर दर्ज की थी. इस एफआईआर में दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया समेत 14 लोगों के नाम हैं. इन आरोपियों ने वियज नायर का नाम पांचवे नंबर पर है. 


गिरफ्तारी पर आप ने क्या प्रतिक्रिया दी है


विजय नायर की गिरफ्तारी के बाद आप ने एक बयान जारी किया. पार्टी का कहना है कि विजय नायर आप के कम्यूनिकेशन इंचार्ज हैं.वो पहले पंजाब और अब गुजरात में कम्युनिकेशन से जुड़ी रणनीतियां बनाने और उन्हें लागू करने की जिम्मेदारी संभाल रहे थे.आबकारी नीति से उनका कोई लेना-देना नहीं है.हैरानी की बात यह है कि उन्हें अभी-अभी आबकारी मामले में सीबीआई ने गिरफ्तार किया है.






आप का आरोप है कि विजय नायर को पिछले कुछ दिनों से पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा था. उन पर मनीष सिसोदिया का नाम लेने का दबाव बनाया गया था.जब उन्होंने ऐसा करने से मना किया तो उन्हें गिरफ्तार करने की धमकी दी गई.पिछले एक महीने में उनके घर पर दो बार छापेमारी की गई,लेकिन कुछ नहीं मिला.ये आप को कुचलने और आप के गुजरात अभियान में बाधा डालने की बीजेपी की कोशिशों का हिस्सा है.


दिल्ली की नई आबकारी नीति


दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने 22 जुलाई को दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. इसके बाद सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज की थी.इसके बाद दिल्ली सरकार ने आबकारी नीति को वापस ले लिया था. सीबीआई ने इस मामले में 19 अगस्त को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और अन्य लोगों के ठिकानों पर छापे मारे थे. बाद में इस जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी शामिल हो गया था.


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