Delhi Corona News: दिल्ली में अब तक ओमिक्रोन के कुल 464 मामले आ गए हैं, सबसे ज्यादा मामलों में दिल्ली दूसरे स्थान पर है जबकि पहले स्थान पर महाराष्ट्र लगातार बना हुआ है. महाराष्ट्र में ओमिक्रोन के कुल मामले 600 को पार करते हुए 653 तक पहुंच गए हैं. देशभर में ओमिक्रोन के मामले 2 हजार को पार करते हुए 2135 तक पहुंच गया है. इन बढ़ते हुए आंकड़ों को लेकर सभी की चिंता बनी हुई है, सबसे बड़ी टेंशन हेल्थ केयर वर्कर्स और फ्रंट लाइन वॉरियर्स की है, क्योंकि कोरोना और ओमिक्रोन के बढ़ते प्रकोप के बीच डॉक्टर्स भी इसकी चपेट में आ रहे हैं.


दिल्ली के अलग-अलग अस्पतालों में डॉक्टर संक्रमित हो चुके हैं, यहां तक कि फ्रंटलाइन वर्कर भी इससे नहीं बच पा रहे हैं, ऐसे में सवाल यह है कि जो डॉक्टर अस्पतालों में मरीजों के इलाज में लगे हुए हैं यदि वही संक्रमित होते हैं तो इलाज कैसे हो पाएगा?



बड़े अस्पतालों के डॉक्टर्स भी आ रहे हैं कोरोना की चपेट में


दिल्ली के सबसे बड़े अस्पतालों में से एक सफदरजंग अस्पताल में पिछले 24 घंटे में 26 डॉक्टर कोरोना संक्रमित पाए गए हैं इसके अलावा एम्स अस्पताल के हर एक डिपार्टमेंट में 5 से 6 डॉक्टर संक्रमित हो गए हैं, वहीं आरएमएल अस्पताल में भी एक दर्जन डॉक्टर संक्रमित पाए गए हैं, इसके अलावा अन्य अस्पतालों में भी मरीजों के इलाज में लगे हेल्थ केयर वर्कर संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं. फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (FAIMA) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर रोहन कृष्णन जो कि दिल्ली के पंजाबी बाग स्थित ईएसआई अस्पताल में कार्यरत हैं वो 2 दिन पहले कोरोना संक्रमित हो चुके हैं. उन्होंने एबीपी न्यूज़ से फोन पर बात करते हुए बताया कि जिस तरीके से पहली और दूसरी लहर के दौरान सभी अस्पतालों में जनरल ओपीडी सेवाएं बंद कर दी गयी थी, और केवल कोरोना संक्रमित मरीजों और इमरजेंसी वाले मरीजों को ही डॉक्टर पहले देख रहे थे वैसी ही स्थिति मौजूदा समय में आ गई है. ज्यादातर डॉक्टरों और हेल्थ केयर वर्कर को कोरोना ड्यूटी में लगाया गया है.


व्यवस्थाओं को लेकर क्या कहते हैं डॉ. 


डॉक्टर रोहन ने कहा कि कई बार अस्पतालों में डॉक्टर और हेल्थ केयर वर्कर्स के लिए मास्क और पीपीई किट की उपलब्धता बहुत कम होती है. 20 दिनों के लिए 4 से 5 मास्क प्रति एक डॉक्टर को दिए जाते हैं, जिसके कारण डॉक्टर्स को एक ही मास्क दो या तीन दिन तक इस्तेमाल करना पड़ता है, इसीलिए अस्पतालों में डॉक्टर हेल्थ केयर वर्कर के लिए मास्क और पीपीई कीट की उपलब्धता ज्यादा से ज्यादा होनी चाहिए. डॉक्टर रोहन ने बताया कि हर एक सरकारी अस्पताल में अलग-अलग ओपीडी में सैकड़ों मरीज होते हैं और हर एक डॉक्टर प्रतिदिन 150 से 200 मरीजों को देखता है ऐसे में डॉक्टर का संक्रमित होना स्वाभाविक है, और कई बार डॉक्टर के टेस्ट कराने के एक-दो दिन बाद जब रिपोर्ट आती है तो उस दौरान भी डॉक्टर कई अन्य मरीजों को देखता है तो ऐसे में कोरोना की चैन कितनी आगे बढ़ सकती है, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.


डॉक्टर कृष्णन ने बताया कि मौजूदा समय में ओमिक्रोन के सिम्टम्स बेहद हल्के हैं, ज्यादा खतरनाक नहीं है लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जब डेल्टा वेरिएंट आया था तो उसके सिस्टम भी काफी हल्के थे लेकिन बाद में वह लोगों के लिए काफी घातक साबित हुआ था. डॉक्टर कृष्ण ने कहा कि अस्पतालों में डॉक्टर की सुरक्षा के लिए ज्यादा से ज्यादा पीपीई कीट, मास्क, सैनिटाइजर की उपलब्धता कराई जानी चाहिए. जिससे कि डॉक्टर पूरी सुरक्षा के साथ मरीजों का इलाज कर सकें, उन्होंने कहा कि कोरोना से बचाव के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाया जा सकता है लेकिन यदि बड़ी संख्या में डॉक्टर या हेल्थ केयर वर्कर संक्रमित होते हैं तो काफी मुश्किलें आ सकती हैं.


पीएम मोदी कर चुके हैं बूस्टर डोज का ऐलान


वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हेल्थ केयर वर्कर और फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए बूस्टर डोज का ऐलान कर चुके हैं. 10 जनवरी से हेल्थ केयर वर्कर्स और फ्रंट लाइन वॉरियर्स को वैक्सीन की बूस्टर डोज लगना शुरू हो जाएगी, जिसके लिए 7 जनवरी से रजिस्ट्रेशन शुरू हो जाएगा. मौजूदा समय में 3 जनवरी से 15 से 18 साल की उम्र के किशोरों को वैक्सीन लगाई जा रही है.


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