Delhi News: दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार की तरफ से पाबंदियां लगाई गई हैं. एक तरफ जहां सिनेमाघर, मल्टीप्लेक्स, जिम वगैरह को बंद कर दिया गया है वहीं, शादियों में भी अधिकतम 20 लोगों को आने की इजाजत दी गई है. ऐसे में लोग या तो शादी कैंसल करा रहे हैं या फिर शादी की डेट आगे बढा रहे हैं. कुछ ऐसे भी हैं जो अपनी शादी दिल्ली के बाहर गुरुग्राम, गाजियाबाद या नोएडा में कर रहे हैं. ऐसे में दिल्ली में बैंड बाजे व्यवसाय से जुड़े लोगों को चिंता सताने लगी है कि अगर आने वाले वक्त में पाबंदियां लगी रहीं तो व्यवसाय पर बहुत बुरा असर पड़ेगा.


2 दिनों में 3 शादी का प्रोग्राम कैंसिल


दिल्ली की शादियों में रौनक गाजे बाजे से ही आती है. लोग शादी से 3 महीने पहले तक ही बैंड की एडवांस बुकिंग करा लेते हैं और शादियों का सीज़न जनवरी से लेकर अप्रैल तक होता है. दिल्ली के टैगोर गार्डन में पिछले 85 साल से जिया बैंड के मालिक अनिल थाडिया बैंड बाजे की दुकान चलाते हैं. थाडिया के पास पिछले 2 दिनों में 3 शादी का प्रोग्राम कैंसिल हो चुका है. नॉर्मल दिनों में एक शादी का 40 हज़ार लेते हैं. बैंड बाजे वाले में 11 लाइटमैन, 4 ढोल वाले, एक बग्घी में दो घोड़े होते हैं. ऐसे ही 10 टीमें ये अलग अलग शादियों में भेजते हैं. ज्यादा डिमांड होने पर ये रकम एक लाख रुपए तक पहुंच जाती है. बैंड बाजे व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना है कि ये सिर्फ दिल्ली में ही लागू हुआ है.


शादी से जुड़े व्यवसाय सब पड़े ठप


साथ काम करने वाले मजदूर इधर उधर चले जाएंगे. उनको लाने में मुश्किल होगी. बहुत से लोग अपनी शादियां नोएडा शिफ्ट कर रहे हैं. कुछ गाजियाबाद में कर रहे हैं. साल का 70 फीसद बिजनेस हम नवंबर से फरवरी तक करते हैं, अगर ये चला गया तो हमारे लिए गुजारा करना मुश्किल हो जाएगा. कारोबारियों ने बताया कि शादी से जुड़े जितने भी व्यवसाय हैं, सब ठप पड़े हैं. इस समय तो सारा कारोबार पूरा चौपट है, किराया देना मुश्किल है. उन्होंने राजनीतिक रैलियों पर सवाल उठाए कि बीजेपी या केजरीवाल की रैली पर रोक क्यों नहीं लगती. सारी गाज व्यापारियों पर ही क्यों गिरती है. 


भारतीय शादियों में दूल्हे के घोड़ी चढ़ने की एक परंपरा सी रही है. लेकिन दिल्ली में पाबंदियों की वजह से शादियां टल रही हैं. ऐसे में घोड़ी वालों की रोजी रोटी पर मानो आफत आ गई है क्योंकि धंधा चले ना चले घोड़ों का रख रखाव तो करना ही है. उन्हें चारा खिलाना ही है और सफाई भी करनी है. दिल्ली के टैगोर गार्डन में आशु जी का शादियों में घोड़े देने का बिजनेस है. लेकिन बंदिशें लगने से डर है कि कहीं पिछले साल की तरह इस साल भी कमाई पर ब्रेक ना लग जाए. बग्घी वाले आशु का कहना है कि ऐसा लगता है खुदकुशी करने का ऑप्शन बचा है. सरकार की तरफ से आजतक कोई सहायता नहीं मिली है.


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