Delhi Corona News: देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना के हालात दिन प्रतिदिन चिंताजनक होते जा रहे हैं. जहां एक तरफ कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा हर दिन बढ़ रहा है तो वहीं दूसरी तरफ इससे संक्रमित मरीजों की मौत भी लोगों को डरा रही है. दिल्ली सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक दिल्ली में संक्रमण दर 25 फीसदी तक पहुंच गई है. हर 24 घंटों में आने वाला संक्रमितों का आंकड़ा परेशान कर रहा है.


दिल्ली में बीते पांच दिनों में कोरोना संक्रमण से 45 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें 25 मरीज 60 साल से अधिक उम्र के थे और 14 ऐसे मरीज थे, जो जिनकी उम्र 41 से 60 आयुवर्ग की थी. वहीं इसमें पांच ऐसे मरीज थे जिनकी उम्र 21 से 40 आयुवर्ग की थी और एक मरीज 16 से 20 आयुवर्ग का और एक मरीज 0-15 आयु वर्ग का था.


बुजुर्गों की हो रहीं ज्यादा मौतें
दिल्ली सरकार के मुताबिक पांच जनवरी से नौ जनवरी के बीच जिन 46 लोगों की मौत हुई है, उसमें सबसे ज्यादा संख्या 60 साल से अधिक उम्र के 25 बुजुर्गों की है. ये आंकड़ा सामने आने के बाद सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि एक बार फिर यह संक्रमण बुजुर्गों के लिए ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा है. एक्सपर्ट्स भी इसको लेकर आगाह कर रहे हैं.


इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के फॉर्मर सेक्रेट्री जनरल और इनफेक्शन कंट्रोल एक्सपर्ट डॉक्टर नरेंद्र सैनी ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में बताया, क्योंकि बुजुर्गों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहद कम होती है. वह इम्यूनोकॉम्प्रोमाइज्ड भी पाए जाते हैं. ऐसे में उनके लिए संक्रमण से बचाव बेहद आवश्यक है और अगर बुजुर्गों में कोरोना कि कोई भी लक्षण नजर आते हैं तो तुरंत उन्हें अस्पताल ले जाने की आवश्यकता है. अगर उनका रेस्पिरेट्री रेट 24 से ज्यादा या फिर ऑक्सीजन लेवल 93 से कम हो तो तुरंत उन्हें डॉक्टर की सलाह के साथ अस्पताल में भर्ती कराएं. समय रहते ही अगर उन्हें सही इलाज मिल जाए तो उनकी जान बचाई जा सकती है.


अब तक 45 से ज्यादा लोगों की हुई मौत
डॉक्टर सैनी ने कहा कि इस संक्रमण से लड़ते हुए हमें करीब दो साल हो चुके हैं. ऐसे में हम काफी कुछ सीख चुके हैं, बावजूद इसके अगर लोग लापरवाही करते हैं तो उनके लिए यह बेहद खतरनाक है. बेहद जरूरी चीजों का ध्यान रखना है कि यदि बुजुर्गों बच्चों या फिर को-मॉर्बिडिटी (वह लोग जो कि किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं) उन्हें तुरंत समय रहते अस्पताल पहुंचाया जाए. संक्रमण का पता लगने पर उन्हें सही इलाज दिया जाए तो उन्हें बचाया जा सकता है. बता दें कि दिल्ली सरकार के आंकड़ों के अनुसार बीते पांच दिनों में कोरोना से जिन 46 लोगों की मौत हुई है, उसमें 34 मरीजों की मौत का कारण को-मॉर्बिडिटी है.


इन मरीजों की हुईं ज्यादा मौतें
को-मॉर्बिडिटी वाले मरीजों में 21 मरीज ऐसे थे जो अस्पताल में भर्ती थे और अस्पताल में भर्ती कराए जाने के बाद उनकी मौत हो गई. वहीं 46 में से 32 मरीज ऐसे थे जो ICU में थे. इनके अलावा 46 में से 12 मरीजों की मौत अस्पताल में भर्ती पर ही हो गई. 11 मरीजों की मौत एक दिन के भीतर हुई और छह की मौत दो दिन बाद हो गई. वहीं 14 मरीजों की मौत तीन से सात दिन के अंदर हो गई और तीन मरीजों की मौत एक हफ्ते के बाद ही हो गई.


वैक्सीन होगी मददगार
इसके साथ ही डॉक्टर सैनी ने कहा कि यह देखने को भी मिल रहा है कि जिन लोगों ने वैक्सीन नहीं ली है उनके लिए यह संक्रमण ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा है, यानी कि उन्हें कोरोना से ठीक होने में ज्यादा समय लगता है. अगर आप वैक्सीनेटेड हैं तो संक्रमित होने पर आप जल्दी ठीक हो जाते हैं. आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता संक्रमण से लड़ने में मदद करती है. इसीलिए वैक्सीन लेना बेहद आवश्यक है सामने आया मौतों का आंकड़ा इस ओर भी इशारा करता है कि हर किसी को वैक्सीन लेना जरूरी है.


क्या होता है को-मॉर्बिडिटी?
डॉक्टर सैनी के मुताबिक को-मॉर्बिडिटी का मतलब कि जो लोग किसी ना किसी गंभीर बीमारी से पहले से ही पीड़ित हैं, जैसे कि शुगर, कार्निया, हार्ट, लीवर, अस्थमा, टाइफाइड, एड्स, डायलिसिस, किडनी, खून की कमी, गठिया, कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां जिससे कि मरीज पहले से ही पीड़ित है और अगर वह कोरोना संक्रमित होते हैं तो उन्हें को-मॉर्बिडिटी की श्रेणी में रखा जाता है.


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