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Delhi News: क्या आप जानते हैं फेंका हुआ खाना भी होता है क्लाइमेट चेंज की वजह? पढ़ें चौंकाने वाली रिपोर्ट
क्लाइमेट चेंज के लिए सिर्फ ओद्योगिकरण ही जिम्मेदार नहीं है.दरअसल फेंका गया खाना भी जलवायु परिवर्तन की वजह बन रहा है. इस बात का एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है.
दिल्ली: अक्सर जब लोगों के घर में खाना बचता है या प्लेट में ज्यादा खाना हो जाता है तो लोग उसे फेंक देते है, लेकिन क्या आपको पता है आपका फेंका हुआ खाना भी क्लाइमेट चेंज (Climate Change) का एक बड़ा कारण है. दुनिया भर में आज के दौर में मौसम में हो रहे परिवर्तन, जलवायु परिवर्तन पर वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं. इसके पीछे तमाम कारण भी निकल कर सामने आ रहे है जिनमे कार्बन उत्सर्जन परिवर्तन का सबसे बड़ा कारण माना जाता है, लेकिन शायद ही आपने कभी सोचा होगा कि आपके फेंके हुए खाने से भी कार्बन उत्सर्जन होता है और वो भी क्लाइमेट चेंज की एक वजह है. बता दे सयुक्त राष्ट पर्यावरण के एक कार्यक्रम कि रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि साल 2019 में दुनिया भर में 93 करोड़ टन भोजन को फेंका गया था.वहीं इस रिपोर्ट के मुताबिक यह हालत सिर्फ विकसित देशों की ही नही बल्कि विकासशील देशों की भी है.
क्या कहते है विशेषज्ञ
क्लाइमेट चेंज पर रिसर्च कर रहे दिल्ली यूनिवर्सिटी के डीन डॉ डब्लू बी पांडे बताते है कि खाना फेंकने की समस्या दुनिया भर में है. लोगों को पता भी नहीं है कि वो किस तरह वातावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं. अक्सर लोग क्लाइमेट चेंज के लिए इंडस्ट्री, फैक्ट्री वगैरह को वजह मानते हैं, लेकिन क्लाइमेट चेंज के पीछे असल जिम्मेदारी सबकी है, क्योंकि घरों, रेस्टोरेंट, में से जो खाना फेंका जाता है उससे लगभग 8 से 10 फीसदी ग्रीन हाउस गैस निकलती है. वहीं दुनिया भर में खाद्य प्रणाली से भी एक तिहाई ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन होता है,इसलिए अगर दुनिया में खाद्य उत्पादन और उसके इस्तेमाल उपभोग की व्यवस्था को सही नहीं किया गया तो, इससे खाद्य उत्पादन से निकलने वाला ग्रीन हाउस गैस भी एक बड़ी समस्या का रूप ले लेगी और धीरे धीरे 2050 तक इसमें 30 से 40 फीसदी की वृद्धि हो सकती है.
खाना फेंकना और उत्पादन भी है वजह
बता दे क्लाइमेट चेंज के पीछे कि एक वजह जहां खाने की बर्बादी करना है वहीं भोजन के उत्पादन से भी ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन हो रहा है, दरअसल वक्त के साथ जनसंख्या बढ़ रही है ऐसे खाने की मांग भी हर साल बढ़ती जा रही है जिस वजह से ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन भी बढ़ गया है जिसकी वजह से धरती गर्म हो रही है, इस मामले में सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की एक रिपोर्ट जो साल 2022 के लिए आई है उसमे बताया गया है कि खाने के उत्पादन से धरती 1.5 डिग्री गर्म हो रही है, जिसमे फसल के उत्पादन से लेकर उसका पकाना सब शामिल है.
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