Delhi High Court : दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि कोविड-19 को अब टीका नहीं लगवाए लोगों की महामारी कहा जा रहा है और सरकार को बुजुर्ग तथा अस्वस्थ लोगों का टीकाकरण जल्द से जल्द करना चाहिए. अदालत बिस्तर पर पड़े वरिष्ठ नागरिकों के लिए घर-घर जाकर कोविड-19 टीकाकरण करने पर तत्काल नीति बनाने संबंधी याचिका पर सुनवाई कर रही है.
84 वर्षीय महिला ने दायर की थी याचिका
न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति नवीन चावला की खंडपीठ को 84 वर्षीया याचिकाकर्ता के वकील ने सूचित किया कि उनकी मुवक्किल बिस्तर पर पड़ी हैं और याचिका दायर करने तथा दिल्ली सरकार द्वारा सात जनवरी को शुरू की गई हेल्पलाइन पर कॉल करने के बाद भी खुद का टीकाकरण नहीं करा पाई हैं.
दिल्ली सरकार का दावा ‘डोर-टू-डोर’ अभियान चलाकर कर रहें हैं टीकाकरण
याचिकाकर्ता के वकील मनन अग्रवाल ने अदालत को बताया कि हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करने पर बताया गया कि उन्हें इस तरह के टीकाकरण के संबंध में कोई जानकारी नहीं है. हालांकि, दिल्ली सरकार का दावा है कि ‘डोर-टू-डोर’ अभियान चल रहा है. पीठ ने दिल्ली सरकार की वकील आयुषी बंसल से यह पता लगाने को कहा कि इस अभियान के तहत अब तक कितने लोगों को टीका लगाया जा सकता है.
अगली सुनवाई 20 जनवरी को
केंद्र सरकार के वकील अनुराग अहलूवालिया ने कहा कि दिव्यांग और बिस्तर पर पड़े लोगों का टीकाकरण अभियान 22 सितंबर, 2021 को शुरू हुआ और 'हर घर दस्तक' अभियान एक नवंबर, 2021 को शुरू हुआ था. अगर याचिकाकर्ता ने इस अवधि के बाद दिल्ली सरकार की हेल्पलाइन पर कॉल किया था तो दिल्ली सरकार को जवाब देना होगा कि ऐसा क्यों नहीं किया गया. दिल्ली सरकार के वकील की ओर से निर्देश के लिए मोहलत की मांग के बाद अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 20 जनवरी की तारीख तय की.
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