Service Tax: होटल और रेस्टोरेंट्स ग्राहकों से नहीं वसूल पाएंगे सर्विस चार्ज, सरकार तैयार कर रही लीगल फ्रेमवर्क
होटलों और रेस्टोरेंट द्वारा वसूले जाने वाले सर्विस चार्ज को लेकर सरकार ने कहा है कि ये अवैध है. सरकार ने इसके खिलाफ जल्द लीगल फ्रेमवर्क बनाने की बात कही है.
दिल्ली: देशभर के होटलों और रेस्टोरेंट में खाने-पीने के बिल के साथ सर्विस चार्ज भी जोड़ा जाता है. लेकिन सरकार ने अब इसे अवैध बताया है. इसी के साथ अब होटल या रेस्टोरेंट्स कस्टमर्स से सर्विस चार्ज नहीं वसूल पाएंगे. दरअसल सरकार ने इसे लेकर एक मजबूत तंत्र का गठन कर कानूनी प्रावधानों को लागू करने का फैसला किया है. सरकार द्वारा इस संबंध में होटल इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों समेत विभिन्न पक्षकारों के साथ गुरुवार को हुई बैठक के बाद फैसला लिया गया है. वहीं होटल और रेस्टोरेंट से जुड़े संगठनों ने सर्विस चार्ज वसूलने को जायज बताते हुए कहा है कि ये रेस्टोरेंट्स का निजी मामला है.
होटल इंडस्ट्री की संस्था ने सर्विस चार्ज वसूलना बताया जायज
बता दें कि बैठक में होटल इंडस्ट्री की संस्था नेशनल रेस्टोरेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया या NRAI और फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया या FHRA की और से तर्क दिया गया कि पूरी दुनिया सर्विस चार्ज वसूल रही है तो ऐसा करना अवैध नहीं है. वहीं सरकार ने ग्राहकों से सर्विस चार्ज वसूलने को गलत बताया और कहा कि कानूनी रूप से होटल व रेस्टोरेंट को बिल में सर्विस चार्ज जोड़ने का कोई अधिकार नहीं है. इसके खिलाफ जल्द ही कड़े कानून बनाए जाएंगे.
सर्विस चार्ज को लेकर लीगल फ्रेमवर्क बनाया जाएगा
वहीं उपभोक्ता संरक्षण क्षेत्र में काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों ने कहा, पिछले दो दशकों से हो रही इस अवैध सर्विस चार्ज वसूली पर रोक लगना अनिवार्य है. वहीं बैठक की अध्यक्षता कर रहे केंद्रीय सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा कि नया उपभोक्ता संरक्षण कानून बनने के साथ ही उपभोक्ता प्राधिकरण का गठन भी किया जा चुका है. उन्होंने कहा कि सर्विस चार्ज के नाम पर उपभोक्ताओं से ठगी हो रही है इसके खिलाफ लीगल फ्रेमवर्क बनाया जाएगा. सभी पक्षों को इसका पालन करना होगा.
गौरतलब है कि होटलों-रेस्टोरेंट्स में सर्विस चार्ज वॉलंटरी होती है. लेकिन कस्टमर्स से इसे जबरन वसूला जाता है. इस संबंध में विभाग को लगातार शिकायतें मिल रही थी. इसे लेकर विभाग द्वारा 24 मई को होटल इंडस्ट्री से जुड़ी संस्था को पत्र भी भेजा गया था.
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