Delhi News: बच्चों की सुरक्षा को लेकर निजी स्कूल वैन के खिलाफ मिल रहीं शिकायतें, दिल्ली सरकार ने उठाया बड़ा कदम
Delhi News: दिल्ली में मौजूदा नियमों के मुताबिक स्कूली बच्चों के लिए कैब चलाने के इच्छुक व्यक्ति को एक नया वाहन खरीदना होता है और उसे स्कूल कैब श्रेणी के तहत पंजीकृत कराना होता है.
Delhi News: दिल्ली (Delhi) में निजी स्कूल वैन के खिलाफ ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने और बच्चों की सुरक्षा को खतरे में डालने की शिकायतों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार (Kejriwal Government) इन वाहनों को नियंत्रण करने के लिए अपनी नीति में संशोधन करने की योजना बना रही है, ताकि ये निजी वाहन परिवहन विभाग के साथ पंजीकृत हों, जिससे समय-समय पर परीक्षण और जांच हो सकें. इसके लिए सरकार निजी वैन को स्कूल कैब नीति के तहत पंजीकरण करने की अनुमति दे सकती है.
मौजूदा नियमों के मुताबिक स्कूली बच्चों के लिए कैब चलाने के इच्छुक व्यक्ति को एक नया वाहन खरीदना होता है और उसे स्कूल कैब श्रेणी के तहत पंजीकृत कराना होता है. अनुमान के अनुसार 32,000 से अधिक निजी वैन स्कूल कैब के रूप में चल रही हैं, लेकिन परिवहन विभाग में केवल 9,000 ही पंजीकृत हैं. दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि ज्यादातर वाहन स्कूल कैब सुविधा के तहत पंजीकृत नहीं हैं और समय-समय पर फिटनेस परीक्षण और जांच के दायरे से बाहर हैं. यही कारण है कि ये वाहन सुरक्षा मानदंडों का पालन नहीं करते हैं और सुरक्षा को खतरे में डालते हुए क्षमता से अधिक बच्चों को ले जाते हैं.
पंजीकृत स्कूल कैब पर होना चाहिए वैन मालिक का नाम
पंजीकृत स्कूल कैब वाहन बैठने की क्षमता से अधिक बच्चों को नहीं ले जा सकते हैं. स्कूल बैग के लिए छत पर वाहक होना चाहिए और उस पर स्पष्ट रूप से मालिक का नाम और संपर्क नंबर होना चाहिए और आग बुझाने वाला यंत्र भी होना चाहिए. एक अधिकारी ने कहा कि स्कूली बच्चों को ले जा रही एक तेज रफ्तार वैन हाल ही में पूर्वोत्तर दिल्ली के जीटीबी एन्क्लेव इलाके में पलट गई, जिससे बच्चे घायल हो गए. अगर सभी स्कूली कैब को नियंत्रित कर लिया जाए तो ऐसी दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है.
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दिल्ली सरकार ने 2007 में की थी स्कूल कैब नीति तैयार
सूत्रों के अनुसार दिल्ली सरकार नीति को अंतिम रूप देने से पहले अभिभावकों और स्कूल वैन संचालकों की राय भी लेगी. दिल्ली सरकार ने 2007 में स्कूल कैब नीति तैयार की थी. इस श्रेणी में केवल नए वाहनों को पंजीकृत करने की शर्त 2017 के आस-पास ही पेश की गई थी. मौजूदा नीति अब पुरानी हो गई है. दिल्ली सरकार ने 2019 में स्कूल परिवहन प्रणाली को विनियमित करने के लिए एक नई नीति के साथ आने की योजना बनाई थी.
कोरोना की वजह से हुई देरी
यहां तक कि शिक्षा विभाग को सभी शहर के स्कूलों में नामांकित छात्रों का डेटा और उनकी तरफ से उपयोग किए जाने वाले परिवहन का विवरण एकत्र करने के लिए कहा था. नगर निगम की ओर से संचालित स्कूलों से भी इसी तरह का डेटा मांगा गया था. हालांकि, इस तरह के आंकड़ों को समेटने में समय लगा और 2020 की शुरुआत में कोरोना महामारी ने पूरी प्रक्रिया को पटरी से उतार दिया था. सभी स्कूल अब पूरी तरह से खुल गए हैं. अधिकारी ने कहा कि सरकार नीति को जल्द से जल्द संशोधित करने की कोशिश में हैं.